दुनियाPosted at: Jul 19 2019 3:44PM आईसीजे के फैसले के बाद पाकिस्तान जाधव को राजनयिक मदद प्रदान कराने पर राजी
इस्लामाबाद, 19 जुलाई (वार्ता) अतंरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) से झटका मिलने के बाद पाकिस्तान अपनी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को राजनयिक मदद प्रदान कराने पर राजी हो गया है जिसके तहत भारतीय नौ सेना के पूर्व कमांडर अब अदालत में अपना पक्ष रखने के लिए वकील कर सकेंगे।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार देर रात एक विज्ञप्ति जारी करके कहा, “अंतरराष्ट्रीय अदालत के आदेशों का अनुसरण करते हुए भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर जाधव को वियना संधि के अनुच्छेद 36 (1) (बी) के तहत उनके अधिकार के बारे में बताया गया है। पाकिस्तान देश के कानूनों के मुताबिक कुलभूषण जाधव को राजनयिक मदद प्रदान करायेगा।”
आईसीजे ने श्री जाधव की फांसी की सजा पर बुधवार को रोक लगाते हुए पाकिस्तान को इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इसकी प्रभावी समीक्षा करने का निर्देश दिया और साथ ही उसे श्री जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान करने का आदेश भी दिया। न्यायालय ने कहा कि पाकिस्तान ने श्री जाधव को वकील की सुविधा उपलब्ध न कराकर वियना संधि के अनुच्छेद 36 (1) का उल्लंघन किया है और उनकी फांसी की सजा पर तब तक रोक लगी रहनी चाहिए जब तक कि पाकिस्तान अपने फैसले पर पुनर्विचार और उसकी प्रभावी समीक्षा नहीं कर लेता।
श्री जाधव को कथित रूप से तीन मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया और पाकिस्तान के विदेश सचिव ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त काे 25 मार्च को इस गिरफ्तारी की जानकारी दी। पाकिस्तान ने इस पर कोई सफाई भी नहीं दी कि श्री जाधव की गिरफ्तारी की जानकारी देने में तीन सप्ताह से अधिक समय क्यों लगा।
पाकिस्तान ने जासूसी का आरोप लगाते हुए श्री जाधव को फांसी की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने तीन मार्च 2016 को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था। पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में श्री जाधव को अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनाई थी जिसके खिलाफ भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की थी।
आईसीजे में श्री जाधव का मुकदमा लड़ने वाले भारत के जाने-माने वकील हरीश साल्वे ने फैसला आने के बाद पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसने श्री जाधव के मामले में फिर कोई फर्जीवाड़ा करने की कोशिश की तो उसे दोबारा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में घसीटा जाएगा तथा उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी लगाये जा सकते हैं।
आशा.श्रवण
वार्ता
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