खेलPosted at: Jul 7 2020 7:29PM आखिरी विकल्प होगा विदेशी जमीन पर आईपीएल का आयोजन
नयी दिल्ली, 07 जुलाई (वार्ता) देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है और दुनिया के सबसे अमीर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की आईपीएल के आयोजन को लेकर बैचेनी भी बढ़ती जा रही है।
आईपीएल के 13वें सत्र के आयोजन को लेकर बीसीसीआई की सारी उम्मीदें अक्टूबर-नवम्बर में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप को टाले जाने पर टिकी हुई हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इस महीने विश्व कप के आयोजन को लेकर फैसला करना है।
बीसीसीआई अब टी-20 विश्व कप के आयोजन को लेकर फैसले के इंतजार में नहीं दिखाई दे रही है और आईपीएल के आयोजन को लेकर खुद आगे बढ़ना चाहती है। बीसीसीआई टूर्नामेंट को भारतीय जमीन पर ही कराना चाहती है और विदेशी जमीन पर इसका आयोजन आखिरी विकल्प होगा।
आईपीएल को 29 मार्च से शुरू होना था लेकिन कोरोना के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। यदि इस साल आईपीएल का आयोजन नहीं होता है तो बीसीसीआई को लगभग चार हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात ने आईपीएल की मेजबानी की पेशकश की है लेकिन बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण सिंह धूमल का कहना है कि बोर्ड को घरेलू जमीन पर आईपीएल के आयोजन की उम्मीद है और उसके बाद ही विदेशी जमीन पर विचार होगा। श्रीलंका और संयुक्त अमीरात के प्रस्ताव पर आईपीएल संचालन परिषद की अगली बैठक में विचार किया जा सकता है।
धूमल ने कहा, “इस वर्ष की शुरुआत बेहद खराब तरीके से हुई है और आगे भी राहत के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय गुजर रहा है हमें मिलकर चीजों का मुकाबला करना होगा। हमें अब किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा। क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है। अब समय आ गया है कि बीसीसीआई अपने इस वर्ष आगे की योजना को लेकर तैयारी शुरू करे।”
उन्होंने साथ ही कहा, “अमेरिका में एनबीए शुरू हो रही है, इंग्लिश प्रीमियर लीग जारी है और बुंदेसलीगा ने दोबारा खेल शुरू होने की सबसे पहले पहल की। यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया में भी घरेलू रग्बी लीग शुरू होने वाली है। इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज शुरू हो रही है। हमें भी सितंबर से आकस्मिक योजना बनाने की आवश्यकता है।”
धूमल ने कहा कि बीसीसीआई का मजबूती से मानना है कि कुछ घोषणाओं में देरी के कारण पहले ही बहुत समय खराब हो चुका है। भारतीय क्रिकेट के हितधारकों को अब यकीन हो चला है कि वे यह तय करने के लिए दूसरों का इंतजार नहीं कर सकते कि भारत को कब और क्या करना चाहिए।
राज
वार्ता