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आन्ध्र में केन्द्रीय और जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना के विधेयक को संसद की मंजूरी

नयी दिल्ली 16 जुलाई (वार्ता) आंध्र प्रदेश में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और एक केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना से सम्बंधित विधेयक को आज संसद की मंजूरी मिल गयी।
राज्यसभा ने मंगलवार को करीब तीन घण्टे की चर्चा के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पिछले सप्ताह ही पास कर चुकी है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि केन्द्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में आदिवासियों की भाषा, संस्कृति के अलावा उनकी आर्थिक गतिविधियों और जीवन शैली आदि के बारे में पढायी तथा शोध कार्य होगा। यह विश्वविद्यालय अन्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों से अलग होगा। इस विधेयक का प्रावधान आन्ध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून में किया गया था।
डा निशंक ने कहा कि तेलंगाना में भी जल्द ही एक जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में आन्ध्र प्रदेश में आईआईटी, आईआईएम , एनआईटी , आईएसईआर जैसे केन्द्रीय शिक्षण संस्थान खोले गये।
इस विधेयक के पारित होने से आंध्रप्रदेश में अब जनजातीय छात्रों के लिए एक विश्विद्यालय की स्थापना होगी और एक केंद्रीय विश्विद्यालय भी बनेगा। इन दोनों विश्विद्यालयों पर 1700 करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे पहले चरण में 450 करोड़ रुपए केंद्रीय विश्विद्यालय पर तथा 420 .5 करोड़ रूपये जनजातीय विश्विद्यालय पर खर्च होंगे।
माकपा के के के रागेश ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय का नाम रोहित वेमुला और राजद के मनोज झा ने मशहूर इंकलाबी शायर मखदूम के नाम पर रखने की मांग की।
अरविंद संजीव
वार्ता
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