नयी दिल्ली 21 अगस्त (वार्ता) आयुध निर्माणी बोर्डों के निगमीकरण के विरोध में कर्मचारियों की देश भर में हड़ताल के बीच सरकार ने आज कहा कि इनके कामकाज को लेकर लंबे समय से सवाल उठाये जा रहे थे जिनके समाधान के लिए यह कदम उठाया गया है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने आज कहा कि इन फैक्ट्रियों की स्थापना सशस्त्र सेनाओंं की जरूरतों को पूरा करने के लिए की गयी थी लेकिन पिछले कई वर्षों से इनके कामकाज, गैर पेशेवर रवैये, खराब गुणवत्ता, महंगे उत्पादों , नवाचार की कमी और कम उत्पादकता को लेकर सवाल उठाये जा रहे थे।
उन्होंने कहा कि समय समय पर गठित की गयी विभिन्न समितियों ने भी आयुध निर्माणी बोर्डों के पुनर्गठन और निगमीकरण के बारे में सिफारिशें दी थी। सिफारिशों में इन बोर्डों की जगह आर्डिनेन्स फैक्ट्री कारपोरेशन लिमिटेड बनाने की बात कही गयी थी।
सूत्रों ने कहा कि आयुध निर्माणियों का मौजूदा ढांचा उत्पादन केन्द्रों की जरूरतों के अनुरूप नहीं है क्योंकि इसमें प्रबंधन और कामकाज के स्तर पर लचीलेपन की जरूरत है। यथा स्थिति को बनाये रखना वित्तीय और सामरिक दृष्टि से महंगा सौदा पड़ रहा है।
इसे देखते हुए सरकार ने निगमीकरण का कदम उठाया है जिससे इनके कामकाज की दक्षता बढेगी, हथियारों के मामले में देश की आयात पर निर्भरता कम होगी, सशस्त्र सेनाओं की मारक क्षमता बढेगी, रक्षा निर्यात बाजार में भारत की घुसपैठ बढेगी, नवाचार बढने के साथ आत्मनिर्भरता बढेगी, दीर्घावधि में रोजगार के अवसर बढेंगे, कीमतों में प्रतिस्पर्धा बढेगी और फैक्ट्रियों की निर्माण क्षमता बढेगी,
अभी देश में 41 आर्डिनेंस फैक्ट्री , 9 प्रशिक्षण संस्थान, 3 क्षेत्रीय विपणन केन्द्र और चार क्षेत्रीय सुरक्षा नियंत्रक केन्द्र हैं। आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का मुख्यालय कोलकाता में है। इन फैक्ट्रियों में बख्तरबंद हथियार, तोप, छोटे हथियार और विभिन्न तरह का गोला बारूद तैयार किया जाता है। इनमें सेना की वर्दी , टेंट और बूट आदि भी बनाये जाते हैं।
आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्डों का निगमीकरण किये जाने के विरोध में देश भर में 80 हजार से अधिक कर्मचारी मंगलवार से हड़ताल पर हैं। उधर सरकार ने कहा है कि वह इन बोर्डों का निजीकरण नहीं कर रही है।