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आरएसएस को ज्ञानवापी में बाबरी विध्वंस दुहराने की न दी जाए अनुमति : दीपंकर

पटना 17 मई (वार्ता) भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर ज्ञानवापी मस्जिद विवाद शुरू कर बाबरी मस्जिद विध्वंस की पुनरावृत्ति की योजना बनाने का आरोप लगाते हुए आज कहा कि संघ को ऐसा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
श्री भट्टाचार्य ने मंगलवार को कहा कि संघ ब्रिगेड ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद उठाकर बाबरी मस्जिद विध्वंस की पुनरावृत्ति की योजना बना रहा है। यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो 15 अगस्त, 1947 को हर धार्मिक पूजा स्थल की स्थिति की गारंटी देता है। उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के अयोध्या फैसले की भावना का भी उल्लंघन करता है, जिसने विध्वंस को एक गंभीर आपराधिक कृत्य मानते हुए भी राम मंदिर के दावे को इस उम्मीद के साथ बरकरार रखा कि यह अन्य सभी विवादास्पद दावों को समाप्त कर देगा।
भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि हालांकि संघ बार-बार दुहराए जाने वाले आक्रामक नारे ‘अयोध्या सिर्फ एक झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है’ पर काम कर रहा है। उच्चतम न्यायालय को इस मामले में कदम उठाना चाहिए और इस साजिश को नाकाम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी शांतिप्रिय भारतीयों को एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ज्ञानवापी अभियान का विरोध करना चाहिए।
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, अर्थव्यवस्था भयानक संकट में है और अधिकांश भारतीय अपनी नौकरी, आजीविका, आवास और जीवन की अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के बारे में चिंतित हैं। मोदी सरकार इस संकट का कोई समाधान नहीं देती है, लोगों को कोई राहत नहीं देती है, यह केवल संकट में अवसर तलाशने और लोगों को अधिक चोट पहुंचाने के लिए है।
भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि विविधता और सद्भाव ऐसे दो पहिए हैं जिन पर भारत एकजुट होकर किसी भी तूफान का सामना करने के लिए मजबूती से खड़ा हो सकता है। इन नींवों पर हमला केवल मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकार और विरासत के लिए एक झटका नहीं है, यह साझा ऐतिहासिक विरासत और भारत की भावना पर एक सीधा हमला है।
सूरज शिवा
वार्ता
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