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आरक्षित वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सरकार से 24 घंटे में जवाब तलब

नैनीताल, 07 जुलाई (वार्ता) उत्तराखड उच्च न्यायालय ने राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) स्थित आरक्षित वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में मंगलवार को राज्य सरकार से 24 घंटे के अंदर जवाब देने के आदेश दिए।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने अधिवक्ता विवेक शुक्ला की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिए।
याचिका में कहा गया है कि आरटीआर की सीमा के अंतर्गत आने वाले कुनाऊं गांव में 135 बीघा वन भूमि पर प्रतिवादी मुनि चिदानंद की ओर से अतिक्रमण किया गया है। सरकार अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रही है।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि यह भूमि लीज पर आवंटित की गयी थी और सन् 1988 में लीज समाप्त हो गयी है। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष मुनि चिदानंद की ओर से इस भूमि पर किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण सामने नहीं आया है। मुनि चिदानंद के बजाय इस भूमि पर प्रभु दयाल शर्मा काबिज है और उनका दावा है कि वह पिछले तीन पीढ़ियों से इस भूमि पर रह रहे हैं।
इसके बाद न्यायालय ने वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के मामले में प्रगति रिपोर्ट पेश करने को निर्देश दिये थे। अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने कहा कि आज दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि अतिक्रमित वन भूमि पर काबिज प्रभु दयाल शर्मा के संबंध में शपथपत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब पेश करे और आवश्यक दस्तावेज भी उपलब्ध कराये।
मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
रवीन्द्र टंडन
वार्ता
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