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लोकरुचि


इटावा के जीवित हनुमान के हैं सब मुरीद

इटावा के जीवित हनुमान के हैं सब मुरीद

इटावा, 24 सिंतबर (वार्ता) पवनपुत्र यानि बंजरगबली के चमत्कार से हर कोई युगों युगों से वाकिफ है लेकिन उत्तर प्रदेश में इटावा के बीहडों में  यमुना नदी के किनारे बसे बंजरगबली के मंदिर में जो प्रतिमा स्थापित हैं उससे जुड़े चमत्कार  यहां आने वाले हर श्रद्धालु को अपना मुरीद बना लेती है।


                                   महाभारत काल से जुड़े इस मंदिर में बजरंगबली की दक्षिण दिशा की ओर मुख कर लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है और इस प्रतिमा के मुंह में प्रसाद के रूप में जो भी डाला जाता है वह सब कहां जाता है यह चिरकाल से कोई नहीं जान पाया। यहां आने वाले श्रद्धालु चाहें कितना प्रसाद चढायें हनुमानजी का मुंह कभी नहीं भरता ।

                                  प्रतिमा पर चढाये जाने वाले प्रसाद की मात्रा 5 किलो हो या फिर 10 किलो सब हनुमान जी के मुख में समा जाता है। लोगों  मूर्ति से सांस लेने और राम राम की आवाजें सुनायी देने का भी दावा करते हैं। उनका कहना हैं कि हनुमान जी अभी भी जीवित है और राम-राम का जप करते हैं। पानी के बुलबले की भी आवाज आती हैं। पानी ठंडा होने के बावजूद बुलबले की आवाज सुनाई देती हैं। देखने में तो यह एक छोटी सी प्रतिमा लगती हैं। लेकिन इस प्रतिमा का चमत्कार देख सभी हैरान हो जातें हैं। भारत में दक्षिणमुखी लेटी हुई हनुमान की मूर्ति इटावा के अतिरिक्त सिर्फ इलाहाबाद में है।                     

                                    हनुमान मंदिर के मुख्य मंहत धर्मेद्र दास का कहना है कि वैसे तो हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति इलाहबाद मे भी है लेकिन जैसी मूर्ति यहॉ पर है ऐसी दूसरी मूर्ति देश और दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से मे नही है। हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता हैं। कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है। आज तक किसी को पता नहीं चला कि, यह प्रसाद जाता कहां हैं। महाबली हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की माने तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तो के प्रसाद भी खाती है । कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं।

इटावा के के.के.कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा.शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि बीहड मे स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप मे कई चमत्कार समेटे हुए है लेकिन आज तक इसके इस रहस्य को कोई पता नही लगा पाया कि इसके मुख बिंदु मे प्रसाद के रूप मे जाने वाला दूध,पानी और लडडू आखिरकार जाता कहॉ है । इसको चमत्कार नही तो और क्या कहा जायेगा ।

                                        इटावा के अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण रामबदन सिंह का कहना है कि हनुमान मंदिर का चमत्कार अपने आप मे अनोखा इसलिए है क्यो कि जब वह इटावा मे पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर वर्ष 2004 मे तैनात थे उस समय मंदिर के पास ही चौहद के आसपास हथियार बंद डकैत पकडे गये थे लेकिन किसी डकैत की किसी भी भक्त को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत नही पडी थी । इसे बंजरग बली के ही चमत्कार का प्रभाव माना जाता है ।

                                       इटावा मे स्थापित इस मंदिर मे कई राज्यों के हनुमान भक्त अपनी आस्था के चलते पूजा अर्चना करने के लिए आते है। इस मूर्ति के उदगम के बारे मे कहा जाता है कि यह चमत्कारिक मंदिर चौहान वंश के अंतिम राजा हुक्म देव प्रताप की रियासत में बनाया गया था। यहां पर महाबली हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की माने तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तो के प्रसाद भी खाती है।

                                        इस मंदिर के महाराज के अनुसार लगभग तीन सौ साल पहले यह क्षेत्र प्रतापनेर के राजा हुक्म चंद्र प्रताप सिंह चौहान के अधीन था। एक दिन हनुमान जी ने राजा को सपने में दर्शन दिया और इस मूर्ति के बारें में बताया। फिर राजा उस स्थान पर गए और इस मूर्ति को अपने महल ले जाने की कोशिश करने लगे। राजा के लाख कोशिश करने के बाद भी यह मूर्ति बिलकुल भी नहीं हिली। फिर राजा ने विधि-विधान से इसी स्थान पर प्रतिमा की स्थापना कराकर मंदिर का निर्माण कराया। धीरे धीरे यह मंदिर हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया।

यह मंदिर लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है और भक्तों का कहना हैं कि हनुमान जी भक्तो द्वारा दिया प्रसाद स्वयं ग्रहण करते हैं। हनुमान जी को लड्डू, पेड़े, मिठाई, दूध कुछ भी चढ़ाओ वे खा लेते हैं।

                               ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल के दौरान कुन्ती के पुत्र भीम यमुना नदी के पास से निकल रहे थे। तभी उनके रस्ते में आराम कर रहे हनुमान जी की पूंछ आ जाती है। हनुमान जी की पूंछ को हटाने की भीम ने बहुत कोशिश की। लेकिन फिर भी बाहुबली भीम असफल रहें। फिर जब भीम को हनुमान जी की सच्चाई का पता चला तो वो उनसे क्षमा मांगने लगे और हनुमान जी की चरणों में नतमस्तक हो गए और हनुमान जी की सेवा करने लगे। भीम की सेवा से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें एक वरदान दिया। इस वरदान के वजह से भीम राजसूर्य यज्ञ में जरासंध को मारने में सफल हुए थे।

                              बीहड़ों में निर्जन स्थान पर एक टीले पर मंदिर स्थित होने के बावजूद हर मंगलवार को भक्तो का सैलाब उमड़ पड़ता है, जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है बजरंग बली के द्वार से खाली नहीं लौटता। श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी कई मन्नत लेकर आते हैं और मान्यता है कि सच्चे दिल से मांगी गई मुरादें बजरंगबली पूरी करते हैं। मंदिर में कभी डाकुओं ने उत्पात मचाने की हिम्मत नहीं की। ऐसी मान्यता हैं कि, गलत कार्य करने वालो को गदाधारी हनुमान जी सजा देते है।

                          इस मंदिर की प्रतिमा पर कई रिसर्च किए है, लेकिन प्रतिमा पर चढाया गया प्रसाद कहां जाता ये कोई नहीं जान सका। रिसर्च करने वालों ने कयास लगाये कि ऐसा लगता है कि मंदिर नदी के पास स्थित होने से हनुमान जी को खिलाने वाला प्रसाद नदी में तो नहीं जा रहा। जो भी हो लेकिन इस बात का पता आज तक नहीं लग पाया है कि बजरंगबली को खिलाया जाने वाला प्रशाद कहां जाता है और जब तक इसका कारण पता नहीं चलता तब तक बजरंगबली के भक्त इसे चमत्कार मानकर विस्मृत होते रहेंगे।

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