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इटावा में कोरोना संक्रमण ने बनाया अपनों को बेगाना

इटावा, 28 मई(वार्ता)उत्तर प्रदेश के इटावा में प्रवासी मजदूरों से उनके ही परिजन कोरोना संक्रमण से भयभीत होकर दूरी बनाये हुए है।
कोरोना संक्रमण के भय से प्रवासी कामगार, मजदूर तथा अन्य आसपास लोग खेत खलिहान मे शरण लिये हुए है।
घर लौटे प्रवासियों से उनके अपने ही दूरी बना रहे हैं। पहले गांव में घुसने से रोका और जब जांच रिपोर्ट निगेटिव आ गई फिर भी घर नहीं जाने दे रहे हैं। आठ दिन से करीब 12 प्रवासी महिला व बच्चों के साथ पेड़ों के नीचे लू के थपेड़ों में दिन और गर्मी के बीच रातें काट रहे को मजबूर बने हुए है।
इटावा के बढ़पुरा ब्लाॅक की ग्राम पंचायत हरदासपुरा विजयपुरा के वीरपाल सिंह, अमरपाल, मानवेंद्र, देव सिंह, वीर सिंह, मलखान सिंह, रामखिलाड़ी, धर्मेंद्र परिवार के साथ करीब आठ दिन पहले अलग-अलग राज्यों से निजी साधनों से अपने गांव की सीमा पर पहुंचे थे। गुजरात के अहमदाबाद से आए सर्वेश के साथ पत्नी अंजू और दो बच्चियां भी हैं। अंजू गांव की बेटी है लेकिन पिता ने बेटी, दामाद और नातिनों को घर में नहीं घुसने दिया।
ग्रामीणों ने सभी प्रवासियों को गांव की सीमा पर ही रोक दिया और जिला अस्पताल जाकर जांच कराने को कहा। चार दिन पहले सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बावजूद गांव के लोग किसी भी प्रवासी को घर नहीं जाने दे रहे हैं।
इटावा के जिलाधिकारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने गुरूवार को यहां बताया कि जिन लोगों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है उनसे कोरोना का किसी तरह का खतरा नहीं है। ऐसे लोगों को परिवार के लोग घरों में रखें । घर में ही 14 दिन सोशल डिस्टेंसिंग और एहतियात रख सकते हैं। प्रत्येक प्रवासी कोरोना संक्रमित नहीं है, सात हजार से अधिक लोग आए जिसमें 27 प्रवासी ही पाजिटिव निकले। लोग घबराएं नहीं समझदारी और सावधानी से काम लें ।
ग्रामीणों का कहना है कि 14 दिन बीतने के बाद ही गांव घर जाने देंगे। घर के लोग सुबह और शाम टिफिन में लाकर भोजन और पानी देने जाते हैं। प्रवासी महिलाओं और बच्चों को लेकर लू के थपेड़ों और गर्म रातों में गांव के बाहर पेड़ों के नीचे पड़े हैं।
प्रवासी मजदूर सर्वेश ने कहा कि गांव के स्कूल में ठहराने के लिए कहा लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। राम खिलाड़ी ने बताया कि उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले से आए हैं। यहां प्रधान और प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं मिल रही है। पेड़ों के नीचे रातें बिता रहे हैं। अहमदाबाद से लौटे टिूकी राजपूत ने बताया कि परिवार के लोग दोनों समय भोजन पहुंचा देते हैं लेकिन घर जाने से रोक रहे हैं । प्रवासी वीर सिंह ने कहा कि आशा और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली । खुद अस्पताल जाकर जांच कराई, रिपोर्ट निगेटिव आ गई है फिर भी बाहर पड़े हैं। वीर सिंह ने कहा कि अगर स्कूल या सरकारी भवन खुलवा दिया जाए तो लू और आंधी से सुरक्षित तो रहेंगे।
सं भंडारी
वार्ता
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