राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Feb 23 2019 1:22PM इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उर्दू में अधिसूचनायें जारी न करने पर जवाब मांगा
प्रयागराज, 23 फरवरी (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्रदेश की द्वितीय राजभाषा उर्दू में सरकारी अधिसूचनायें, सरकारी विज्ञापन और दूसरी सूचनायें प्रकाशित करने संबंधी शासनादेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है।
अदालत ने प्रदेश सरकार के जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए नये सिरे से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया है। यूनानी डाक्टर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की पीठ ने यह आदेश दिया।
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश राजभाषा एक्ट की धारा तीन के तहत उर्दू को प्रदेश की दूसरी राजभाषा घोषित किया गया है। विशेष निर्देश हैं कि प्रदेश के सभी नियम-कानून, सरकारी सूचनायें और विज्ञापन आदि उर्दू में भी प्रकाशित किये जायेंगे। इसे हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने चुनौती दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक से उसकी याचिका खारिज हो चुकी है।
याचिका में कहा गया है कि 2004 में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि सात अक्टूबर 1989 की अधिसूचना और 16 नवम्बर 1990 तथा 16 मार्च 1999 के शासनादेश का सही मंशा से पालन किया जाए। इसके बावजूद प्रदेश सरकार सरकारी सूचनाएं और आदेश उर्दू में नहीं प्रकाशित कर रही है।
प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में 29 नवम्बर 2013 को प्रकाशित अधिसूचना प्रस्तुत की जिससे अदालत संतुष्ट नहीं थी। अब इस मामले की सुनवाई मार्च में होगी।