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उच्च न्यायालय ने वन्य जीव अपराध पर नियंत्रण को लेकर मांगा जवाब

नैनीताल, 20 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रूख अख्तियार किया है और राज्य सरकार से पूछा है कि वन्य जीवों के अपराध पर नियंत्रण के लिये क्या कदम उठाये गये हैं।
अदालत ने वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो) के गठन के संबंध में उठाये गये कदमों के बारे में सरकार से दस दिनों के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
अधिवक्ता आदित्य सिंह ने बताया कि केन्द्र सरकार ने 2014 में सिफारिश की थी कि राज्य में वन्य जीवों से संबंधित अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण एवं जांच के लिये सभी राज्यों में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की इकाइयों का गठन किया जाना चाहिए। श्री सिंह ने आगे बताया कि वर्तमान में वन्य जीव अपराधों की जांच का जिम्मा प्रदेश के प्रभागीय वनाधिकारियों (डीएफओ) एवं अतिरिक्त मुख्य वन सरंक्षक (वन्य जीव व आसूचना) के हवाले है।
मामले को आपरेशन आई आफ द टाइगर नामक गैर सरकारी संस्था की ओर से 2017 में चुनौती दी गयी। संस्था के मुख्य कार्यकारी राजीव मेहता की ओर याचिका तब दायर की गयी जब प्रदेश के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की ओर से मार्च 2016 में पांच बाघों की खालें और कथित रूप से लगभग 130 किलोग्राम बाघों की हड्डियां तस्करों से बरामद की गयीं। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि भारतीय वन्य जीव संस्थान ने जब इन खालों की जांच की तो संस्थान की ओर से बरामद खालों को कार्बेट टाइगर रिजर्व के बाघों की बतायी गयी। यही नहीं इनके अलावा दो और बरामद खालों की भी संस्थान की ओर से कार्बेट टाइगर रिजर्व के बाघों के रूप में पहचान की गयी।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि केन्द्र की सिफारिश के बावजूद प्रदेश में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो का गठन नहीं किया गया है। राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्व वार्डन (मानद) श्री मेहता ने कोर्ट को यह भी बताया कि जब वह राज्य वन्य जीव बोर्ड के सदस्य थे तो उन्होंने 2017 में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो गठित करने का लेकर एक प्रस्ताव पास करवाना सुनिश्चित करवाया था लेकिन उनके प्रस्ताव पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है।
अधिवक्ता अदित्य सिंह ने बताया कि इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति नारायण सिंह धनिक ने सरकार को दस दिन के अंदर एक हलफनामा पेश करने को कहा है। जिसमें कहा गया है कि वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के गठन की प्रगति को लेकर सरकार रिपोर्ट पेश करे।
सं, नीरज
वार्ता
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