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उत्तरी क्षेत्रों के जलाशयों में कम जल स्तर चिंता का विषय

जालंधर 22 सितंबर (वार्ता) बीस सितंबर को सामान्य मानसून के मौसम के अंत में उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में कम जल स्तर बिजली क्षेत्र के लिए चिंता का कारण बन सकता है। मानसून में गिरावट के साथ ही इस क्षेत्र में हाइड उत्पादन में काफी कमी आई है।
मानूसन खत्म होने के आखिरी दिन 20 सितंबर को भाखड़ा बांध पर जल स्तर 1651.25 फीट था। भाखड़ा बांध 17 सितंबर को 1651.57 फीट तक भर गया था और इसके बाद जल स्तर में रिक्तीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। जलाशय के भरने की अधिकतम सीमा 1680 फीट है। इस प्रकार भाखड़ा में भराव 28.43 फीट कम है।
पावरकॉम के प्रवक्ता विनोद गुप्ता ने शनिवार को बताया कि पोंग बांध की जलभराव की अधिकतम क्षमता 1390़ 36 फीट है। 20 सितंबर को पोंग बांध का जलस्तर 1376.71 फीट था जबकि 13 सितंबर को जलाशय में अधिकतम भराव 1377 फीट था। रणजीत सागर बांध जलाशय में 527.91 मीटर की अधिकतम स्वीकार्य सीमा के मुकाबले पानी का स्तर 520.31 मीटर है। उत्तराखंड में भागीरथी पर 1000 मेगावाट की टीहरी बांध परियोजना के मामले में 830 मीटर की सीमा के मुकाबले स्तर 824.8 मीटर है।
मानसून सतलुज (भाखड़ा), ब्यास (पोंग) और रावी (रणजीत सागर बांध) में जल प्रवाह कम होने के साथ बंद हो रहा है। जलभराव की सामान्य तिथि 20 सितंबर है और इस साल रिक्तीकरण की प्रक्रिया कुछ हद तक शुरू हो गयी है। उत्तर पश्चिमी भारत में चल रही बारिश इस क्षेत्र में वर्षा के आंकड़ों में सुधार कर सकती है, जो एक जून से सामान्य बारिश से सात फीसदी कम दर्ज की गई है।
हाइड्रो पावर की आपूर्ति अवधि खतम होने वाली है। मानसून के निस्तारण ने उत्तरी क्षेत्र में अधिकांश जलविद्युत परियोजनाओं के ऊर्जा के स्तर को प्रभावित किया है। उत्तर में अधिकांश जलविद्युत स्टेशन लगभग 40 से 60 फीसदी क्षमता पर काम कर रहे हैं जो पहले 100 फीसदी या उससे अधिक परिचालन कर रहे थे। 1534 मेगावाट भाखड़ा पावर हाउस लगभग 836 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा है, 990 मेगावाट देहर पावर हाउस 500 मेगावाट, 600 मेगावाट रंजीत सागर बांध 237 मेगावाट और 1000 मेगावॉट का टीहरी जल विद्युत परियोजना 427 मेगावाट पैदा कर रही है।
मॉनसून सीजन के दौरान पहले 100 फीसदी उत्पदान कर रहे हाइड्रो स्टेशनों चमेरा, कोल बांध, नाथपा झाखड़ी, रामपुर, करचम वांगू नदियों में सीधे प्रवाह में कमी से प्रभावित हुए हैं। सर्दियों के शुरू होते ही पानी की कमी और बिजली के उत्पदान में भी की आएगी। 1500 मेगावाट नाथपा झाखाड़ी 941 मेगावाट और 1000 मेगावाट का करचम वांटगू 525 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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