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उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की तीन दिवसीय हड़ताल शुरु

हल्द्वानी 07 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड में नैनीताल जिले के हल्द्वानी में आॅल इंडिया सेन्ट्रल काउंसिल फाॅर ट्रेड यूनियन से सम्बद्ध राज्य के आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए।
राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स यूनियन एवं आशाओं के राष्ट्रीय फेडरेशन की मांगों के संबंध में तीन दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया गया है और उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन भी इस राष्ट्रीय हड़ताल में सक्रिय भागीदारी कर रही है।
यूनियन के प्रदेश महामंत्री कामरेड डाॅ. कैलाश पाण्डेय के नेतृत्व में नगर इकाई की आशा कार्यकर्ताओं ने हड़ताल के पहले दिन आज शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मास्क पहनकर राजकीय महिला चिकित्सालय के प्रांगण में अपराह्न ग्यारह बजे से एक बजे तक धरना दिया इसके उपरांत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा।
इस दौरान सभी आशा कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन एवं पूर्ण कार्य बहिष्कार करते हुए एकस्वर में ‘आशा एकता जिंदाबाद और आशाओं को बंधुआ मजदूर बनाना बंद करो’ के भी नारे लगाए।
इस अवसर पर नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि आशाओं के सवालों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना तो दूर प्रदेश सरकार आशा कार्यकर्ताओं के ज्ञापन का जवाब तक देना जरुरी नहीं समझती है। आपातकालीन ड्यूटी कर रही आशाओं के प्रति प्रदेश सरकार का यह रवैया अफसोसजनक है।
कामरेड पाण्डेय ने कहा कि आशाओं को मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन उसके बाद आशाओं पर विभिन्न प्रकार के सर्वे और कामों का बोझ लगातार बढ़ाया जाता रहा है और काम के एवज में पर्याप्त भुगतान भी नहीं किया जाता है।
उन्होंने आशाओं का मासिक वेतन तय करने की मांग की है। आशा कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगों में न्यूनतम वेतन, पूर्णबंदी भत्ता, मासिक वेतन, राज्य कर्मचारी का दर्जा, स्थायीकरण की मांग शामिल है।
सं. उप्रेती
वार्ता
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