राज्य » अन्य राज्यPosted at: Sep 15 2019 11:42PM उत्तराखंड परिवहन निगम ने ठोकी 85 करोड़ देनदारीनैनीताल 15 सितंबर (वार्ता) उत्तराखंड की जीवन रेखा कही जाने वाली राज्य परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है जबकि कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए 85 करोड़ की देनदारी ठोकी है। उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं होने से उसकी स्थिति और बदहाल होती जा रही है। राज्य सरकार की तंगदिली ने भी उसे भुखमरी के कगार पर ला दिया है। हालत यह है कि निगम के कर्मचारियों को पिछले दो-तीन माह से वेतन नहीं मिल पाया है। निगम कर्मचारी संघ ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। साथ ही उस पर 85 करोड़ रूपये की देनदारी का दावा ठोका है। ऋणम कृत्वा घृतम पिवैत यह कहावत चरितार्थ होती है उत्तराखंड परिवहन निगम पर। निगम हर साल घाटे में चल रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में परिवहन निगम को 62 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। निगम की ओर से यह दावा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका के जवाब में प्रतिशपथपत्र के माध्यम से किया गया है। निगम के सहायक महाप्रबंधक (कानून) की एससी जोशी की ओर से गुरुवार को दायर जवाब में कहा गया है कि वर्ष 2018-2019 में निगम की आय कम और खर्चा अधिक हुआ है। निगम की आय 52942.29 लाख रूपये जबकि कुल खर्चा 59155.95 लाख रूपये था। हलफनामें में यह भी कहा गया है कि घाटे का असर निगम की माली हालत पर पड़ रहा है। हालत यह है निगम को अपने कर्मचारियों को वेतन तक देने के लाले पड़ रहे हैं। अभी तक कर्मचारियों को जुलाई व अगस्त का वेतन नहीं मिल पाया है। लगातार घाटे के चलते निगम में बसों का बेड़ा घटता जा रहा है। बैंकों से ऋण लेकर बसें खरीदी गयी हैं। फलतः निगम को प्रतिमाह 2.50 करोड़ की किश्त चुकानी भी भारी पड़ रही है। वर्ष 2016 में 483 बसें ऋण लेकर खरीदी गयीं और इसी साल 300 बसें और खरीदने की योजना है। यूनीवार्ता के पास निगम के हलफनामे की प्रति उपलब्ध है। निगम की ओर से यह भी कहा गया है कि उप्र सरकार के साथ परिसंम्पत्तियों का हस्तांतरण नहीं होने से भी निगम की वित्तीय हालत चरमा रही है। याचिकाकर्ता के वकील एम सी पंत की ओर से कहा गया कि उप्र सरकार की ओर से लगभग 800 करोड़ रूपये की परिसम्पत्तियों का हस्तांतरण होना है। प्रतिशपथ पत्र में यह भी दावा किया गया है कि राज्य सरकार निशुल्क यात्राओं के नाम पर तमाम योजनायें संचालित कर रही है लेकिन निगम को इनके बदले भुगतान नहीं किया जा रहा है।हलफनामे कहा गया है कि में सरकार पर विभिन्न योजनाओं के तहत 85 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि बाकी है। निगम प्रदेश सरकार की ओर टकटकी लगाये बैठा है कि सरकार लंबित धनराशि का भुगतान करे तो वह कर्मचारियों को बकाये वेतन का भुगतान कर पाने में सफल होगी। परिवहन निगम की ओर से यह हलफनामा परिवहन निगम कर्मचारी संघ की ओर से अपने ही सरकार के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई के जवाब में दिया गया है। निगम की ओर से यह जवाब पिछले हफ्ते गुरूवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में पेश किया गया है। संघ की ओर से इसी साल दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि उप्र व उत्तराखंड सरकारों की उपेक्षा से परिवहन निगम की माली हालत बेहद खराब होती जा रही है। रवीन्द्र.संजयवार्ता