Saturday, Apr 20 2024 | Time 17:44 Hrs(IST)
image
राज्य » उत्तर प्रदेश


उत्तर प्रदेश पंचनदा मेला दो इटावा

पांच नदियों का यह संगम स्थल महाभारत कालीन सभ्यता से भी जुडा हुआ माना जाता है। यहां पर पांडवो ने अज्ञातवास का समय बिताया था। पांडवो के यहां पर अज्ञातवास बिताने के प्रमाण भी मिलते है। महाभारत में जिस बकासुर नामक राक्षस का ज्रिक किया जाता है, उसे भीम ने इस इलाके के एक ऐतिहासिक कुए में मार कर डाला था।
इसके अलावा 800 ईसा पूर्व पंचनदा संगम पर बने महाकालेश्वर मंदिर पर साधु-संतो का जमावड़ा लगा रहता है। मन में आस्था लिए लाखों श्रद्धालु कालेश्वर के दर्शन से पहले संगम में डुबकी अवश्य लगाते हैं। यहां शनि देव मंदिर है, जहां भगवान विष्णु ने महेश्वरी की पूजा कर सुदर्शन चक्र हासिल किया था। पांडु पुत्रों को शनि कालेश्वर के रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए थे। इसीलिए हरिद्वार, बनारस, इलाहाबाद छोड़कर पंचनदा पर कालेश्वर के दर्शन के लिए साधु-संतो की भीड़ लगती है।
इतने पावन स्थान को यदि उस प्रकार से लोकप्रियता हासिल नहीं हुई जिस प्रकार से अन्य तीर्थस्थलियों को ख्याति मिली, तो इसके लिए यहां का भौगोलिक क्षेत्र कसूरवार रहा है। पंचनदा के एक प्राचीन मंदिर को बाबा मुकुंदवन की तपस्थली भी माना जाता है। जनश्रुति के अनुसार संवत 1636 के आसपास भादों की अंधेरी रात में यमुना नदी के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास कंजौसा घाट पहुंचे थे और उन्होंने मध्यधार से ही पानी पिलाने की आवाज लगाई थी, जिसे सुनकर बाबा मुकुंदवन ने कमंडल में पानी लेकर यमुना की तेज धार पर चल कर गोस्वामी तुलसीदास को पानी पिलाकर तृप्त किया था।
बीहड़ तहसील क्षेत्र चकरनगर में यमुना नदी किनारे ऐतिहासिक भारेश्वर मंदिर भरेह एवं यमुना, पंचनदा संगम महाकालेश्वर अपनी सुंदरता के लिये बखूबी जाना जाता है और दोनों ही ऐतिहासिक देव स्थल अपनी सिद्धि के लिये प्रसिद्ध भी है। इन देव स्थालों पर पांडवों द्वारा अज्ञात वास काटा गया और भगवान शंकर की पूजा आराधना करने का भी उल्लेख है।
सं तेज भंडारी
जारी वार्ता
image