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उम्मीदवारों को चुनावी नैया पार लगाने के लिये डेरों का सहारा

चंडीगढ़ / सिरसा, 23अप्रैल (वार्ता) पंजाब तथा हरियाणा में चुनाव के मौसम में सभी राजनीतिक पार्टियों को डेरों के समर्थन की दरकार है ।
क्षेत्र के करीब सौ से अधिक डेरे हैं तथा सबसे बड़े डेरा ब्यास ,डेरा सच्चा सौदा ,डेरा सचखंड बल्लां , दिव्य जागृति संस्थान ,बीबी जागीर कौर का भी डेरा है । पंजाब ,हरियाणा तथा राजस्थान में सबसे अधिक प्रभाव सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा का है जिसके अनुयायी पंजाब के मालवा क्षेत्र की अधिकांश सीटों पर प्रभाव डालते हैं । पटियाला ,संगरूर ,फरीदकोट , बठिंडा , फिरोजपुर ,लुधियाना में लगभग पैंतीस लाख डेरा प्रेमी हैं । हरियाणा में भी डेरा का खासा प्रभाव रहा है ।
चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होने पर पिछले साल केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी राधा स्वामी ब्यास डेरे गये थे । इसी तरह कांग्रेस , भाजपा और शिरोमणि अकाली दल सहित कई पार्टियों के नेता मिलने के बहाने आर्शीवाद लेने गये थे । कांग्र्रेस के नेता भी मान चुके हैं कि हम तो सभी से वोट मांगेंगे क्योंकि वोट मांगना हमारा धर्म है । हालांकि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल कह चुके हैं कि पार्टी डेरा से समर्थन कभी नहीं मांगेगी तथा हम डेरा सच्चा सौदा के मामले में अकाल तख्त के आदेश की पालना करेंगे ।
डेरा प्रमुख के जेल चले जाने के बाद से अब पहले की तरह राजनेता खुलकर डेरा जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहे ।
ज्ञातव्य है कि पंजाब में बेअदबी की घटनाओं में डेरा सच्चा सौदा की भूमिका सामने आने के बाद हर पार्टी डेरा को लेकर बच रही है चाहे अंदरखाते मिलीभगत हो ।
डेरा सच्चा सौदा अबकी बार लोकसभा चुनाव में परोक्ष भागीदारी से बच रहा है। डेरा प्रमुख के साध्वी यौन शौषण मामले में सलाखों के पीछे चले जाने के बाद डेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग के पदाधिकारी गुपचुप तरीके से डेरा से बाहर गुप्त बैठकें कर अपना सियासी वर्चस्व बचाने के नुस्खे ढूंढ रहे हैं।
डेरा ने अपने इतिहास में पहली बार पिछले हरियाणा विधानसभा में खुलकर भाजपा को समर्थन दिया लेकिन न्यायालय की डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर लटकती तलवार से भाजपा उसे नहीं बचा पायी । डेरा के अनुयायी अब भाजपा को कोस रहे हैें। सूत्रों की मानें तो अबकी बार डेरा की सियासी विंग एक पार्टी को समर्थन देने की बजाय अलग-अलग दलों के उम्मीदवारों के फार्मूले को फिर लागू कर रहा है।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के साध्वी यौन शौषण व पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में सजा होने के बाद डेरा के पूर्व साधू रणजीत सिंह कोलियां के मर्डर की फाईल आज भी सीबीआई की विशेष कोर्ट में विचाराधीन है,इसलिए सीधे तौर पर डेरा भाजपा को नाराज करने के मूढ में नहीं है। डेरा प्रमुख के जेल चले जाने के बाद प्रबधंक मंडल को भय सता रहा है कि कहीं लंबित केस में डेरा प्रमुख के परिवार को ही न लपेट दिया जाए। डेरा प्रमुख के परिवार को सुरक्षित रखने के लिए डेरा की सियासी विंग के इशारे पर डेरा परिसर से बाहर नाम चर्चाओं के बहाने डेरा अपनी सियासी व्यूह रचना रच रहा है। दो रोज पहले सिरसा के एक मैरिज पैलेस में नामचर्चा का आयोजन करने के बाद अब डेरा के स्थापना दिवस के बहाने कोई बड़ा आयोजन 29 अप्रैल को सिरसा में ही मनाने के लिए तैयारियां की जा रही है,अब यह आयोजन डेरा परिसर में किया जाए या बाहर इस पर मंथन किया जा रहा है।
वहीं डेरा सच्चा सौदा के वोटों पर नजर लगाए बैठे विभिन्न दलों के नेता डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहिम के जेल चले जाने के बाद तथा डेरा की सियासी विंग के कमांडर राम सिंह के भी मुकदमों के डर से भूमिगत हो जाने की स्थिति में नेता वोट पाने की चाहत में रास्ते तलाश रहे हैं। डेरा सच्चा सौदा में नेताओं के उडऩखटोलों के लिए बनाए गए विशेष हैलीपेड पर अब तक एक भी हैलीकॉप्टर नहीं उतर पाया है । सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में अकसर हरियाणा,पंजाब,दिल्ली,राजस्थान,चंडीगढ़,उत्तर प्रदेश राज्यों के राजनेता डेरा प्रमुख से आशीर्वाद लेने आते थे।
वहीं दूसरी ओर डेरा के वोटों के पैकेज को पाने के लिए सभी दल अपने स्तर पर प्रयासरत हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का मानना है कि डेरा से जुड़े अनुयायी भी देश की प्रजातांत्रिक प्रणाली का हिस्सा है,इसलिए उनसे वोट मांगने में कोई गुरेज नहीं है। इसी तरह इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला का कहना है कि डेरा प्रमुख की साध्वी मामले में पेशी के बाद भड़की हिंसा में मारे गये लोगों को मुआवजा तथा परिवार की सुरक्षा की बात विधानसभा की पटल पर रखी थी । उनका कहना है कि वोट मांगना बुराई नहीं है। जननायक जनता पार्टी भी इसी ढर्रे पर चल रही है ।
सिरसा के एक मैरिज पैलेस में डेरा की नामचर्चा में पहुंची हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान अशोक तंवर की पत्नी अवंतिका तंवर ने कहा कि वे हमेशा से ही डेरा के साथ जुड़े हैं , कई बार डेरा प्रमुख की रूबरू नाईट देखी वहीं अन्य आयोजनों में हमारा परिवार शिरकत करता रहा है। उन्होंने स्वयं को डेरा का श्रद्धालु तक बताया।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार वोटों के लिए नेता व डेरा के प्रबंधक मंडल के लोग जितने मर्जी पापड़ बेल लें लेकिन डेरा प्रमुख को वोटों के बदले जेल की सलाखों से बाहर निकलना शायद इतना आसान नहीं है ।
शर्मा
वार्ता
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