राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Jan 22 2021 9:46PM एक सदस्य की कार्यवाही अवैध नहीं:उच्च न्यायालयप्रयागराज,22 जनवरी (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) अध्यक्ष व न्यूनतम दो सदस्यो से पूर्ण होती है । अध्यक्ष के न रहने पर दो सदस्य शिकायत की सुनवाई कर सकते है। यदि एक सदस्य के शिकायत सुनने पर कंपनी ने अधिकारिता पर आपत्ति न कर मौन रहती है तो सदस्य के आदेश को इस आधार पर चुनौती नहीं दे सकती। न्यायालय ने कहा कि एक सदस्य की कार्यवाही को अवैध नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने कहा कि प्रमोटर समय से फ्लैट का कब्जा नहीं सौंपते तो मूल धन मय ब्याज के वसूली के लिए सिविल अदालत जाने की दलील नहीं दे सकते। रेरा एक्ट त्वरित राहत दिलाने के लिए गठित किया गया है। ऐसे मे इसके गठन का उद्देश्य ही विफल हो जायेगा। इसलिए बकाये की वसूली राजस्व प्रक्रिया से करने का आदेश उचित है। न्यायालय ने कहा कि बकाया वसूली के अलावा अन्य मामले मे रेरा के आदेश के खिलाफ अपील का उपबंध है। याची अपील दाखिल कर सकता है। न्यायमूर्ति एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति आर आर अग्रवाल की खंडपीठ ने मेसर्स प्राविड रियल इस्टेट प्रा लि व मेसर्स एम आर जे वी कांस्ट्रक्शन कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। याची कंपनी ने रेरा अथॉरिटी के 2012मे बुक फ्लैट का करार के तहत 2017 में कब्जा न सौपने पर मूलधन 25 लाख 36 हजार 985रूपये की वसूली आदेश को चुनौती दी थी। कहा कि आदेश के खिलाफ अपील होगी, लेकिन एक सदस्य ने आदेश दिया है। जिसे अधिकारिता नहीं थी। न्यायालय ने कहा कि पद खाली रहने के कारण कार्यवाही अवैध नहीं होगी। न्यायालय ने बकाया वसूली पर कहा कि दो तरीके से वसूली नहीं हो सकती। मूल धन के लिए सिविल कोर्ट व दंड,मुआवजा, ब्याज के लिए राजस्व वसूली की अलग प्रक्रिया नहीं अपनायी जा सकती। धारा40 के तहत राजस्व वसूली की जा सकती है।स दिनेश त्यागीवार्ता