श्रीनगर ,09 जुलाई (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के सौरा स्थित एस के आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से जूझ रहे एक मरीज पर प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू कर एक उपलब्धि हासिल की है।
प्लाज्मा थेरेपी कोरोना से पीड़ितों के इलाज की एक कारगर चिकित्सा प्रणाली है जिसका इस्तेमाल आज पूरे विश्व में किया जा रहा है। भारत में इसका प्रयोग अभी सीमित संख्या में किया जा रहा है।
एसकेआईएमएस की पब्लिक रिलेशन की सहायक निदेशक कुलसुम भट ने कहा कि कोरोना और गैर कोरोना दोनों प्रकार के रोगियों के लिए यह संस्थान एकमात्र रेफरल देखभाल केंद्र है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए एक डीम्ड मेडिकल विश्वविद्यालय के रूप में भी यह संस्थान सबसे आगे रहा है।
सुश्री भट ने कहा कि एसकेआईएमएस ने गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों के लिए प्लाज्मा थैरेपी (सीपीटी) की शुरुआत की, क्योंकि इस घातक संक्रमण से निपटने में यह थेरेपी कारगर भूमिका निभाती है। इसे केंद्र सरकार के साथ-साथ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा,“संस्थान की संस्थागत नैतिकता समिति ने भी इस उपचार की संस्था को मंजूरी दे दी। जम्मू-कश्मीर सरकार को हाल ही में संस्थान में प्लाज़्मा थेरेपी के हालिया घटनाक्रम से अवगत कराया गया है। कोरोना से तीन गंभीर रूप से बीमार रोगियों को सहायता आधार पर प्लाज्मा थेरेपी प्राप्त हुई है।”
जनरल मेडिसिन से पीजी कर रहे तीसरे वर्ष के छात्र डॉ सजाद भट जो हाल ही में कोरोना को मात देकर स्वस्थ हुए, ने एसकेआईएमएस में इस नेक काम के लिए पहला प्लाज़्मा दान किया। संस्थान में प्लाज्मा बैंक ब्लड ट्रांसफ्यूजन एंड इम्यूनो-हेमेटोलॉजी विभाग के सहयोग से शुरू किया गया है।
सुश्री भट ने कहा,“ चिकित्सकीय निर्णय और ऐसे इलाज के लिए मरीजों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपचार के इस तरीके को बढ़ाया जा रहा है और अधिक से अधिक लोगों को इस सेवा के लिए समायोजित किया जा रहा है। इस उपचार में फायदे बहुत हैं, लेकिन थोड़े नुकसान भी है, मगर फिर भी इसे सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।”
इस बीच संस्थान के निदेशक ने थेरेपी टीम के प्रयासों के लिए सराहना करते हुए कहा कि संस्थान चिकित्सा अनुसंधान और पारंपरिक चिकित्सा में नई ऊंचाइयों को छुएगा।
संजय जितेन्द्र
वार्ता