लखनऊ, 17 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गौतमबुद्धनगर से मंगलवार को 50 हजार रुपये के इनामी हत्यारोपी अजीत प्रधान को गिरफ्तार कर लिया।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्र ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसटीएफ की नोएडा फील्ड यूनिट को सूचना मिली कि बीटा थाने में दर्ज हत्या के मामले में वांछित 50 हजार का इनामी हत्यारोपी
अजीत प्रधान किसी से मिलने के लिए यमुना एम्सप्रेस-वे, जीरो प्वाइंट गौतमबुद्धनगर में आने वाला है।
उन्होंने बताया कि इस सूचना पर एसटीएफ नोएडा टीम बीटा थाने की पुलिस को साथ लेकर बताये गये स्थान पर पहुंचकर आज इनामी हत्यारोपी अजीत प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार अजीत प्रधान ने पूछताछ पर बताया कि वह हापुड़ जिले के बाबूगढ़ छावनी थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसके भाई विनोद कुमार उर्फ पप्पू की वर्ष 2003 मेें रंजिश के चलते हत्या हो गई थी। उस मामले में मुरादनगर इलाके के जलालाबाद निवासी सुशील आदि कई लोग जेल गये थे। अपने भाई की हत्या का बदला लेने की फिराक में वह सबसे पहले उसने 2005 में देवेन्द्र देवू निवासी सैदपुर बुलंदशहर के सम्पर्क में तब आया जब उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही थी। उस समय अजीत प्रधान ने चुनाव में देवेन्द्र देवू की तरफ से बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। देवेन्द्र देवू दिल्ली पुलिस का सिपाही था और अपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण वर्ष 2001 में सेवा से बर्खास्त हो गया था।
श्री मिश्र ने बताया कि देवेन्द्र देवू के ही परिवार का सदस्य रंजीत था, जो कि कुख्यात अपराधी सैदपुर निवासी सेंसरपाल से जुड़ा था और इस प्रकार वह रंजीत व सेंसरपाल के सम्पर्क में आ गया। उस समय सेंसरपाल और जतिन
सिरोही के बीच में गैंगवार की स्थिति चल रही थी। अजीत प्रधान ने बताया कि वह शुरुआत मेें इन लोगोें से इसलिए जुड़ा था कि इनके माध्यम से अपने भाई की हत्या का बदला ले सके और बाद वह भी अपराध की दुनिया मेें शामिल हो गया।
सेंसरपाल के गिरोह में शामिल हो गया। उसके बाद वह पैसेे लेकर सात मार्च 2006 को मुजफ्फरनगर जिले के मंसूरपुर इलाके फीमपुर के अमित उर्फ पप्पू और उसके साले संदीप आदि के साथ मिलकर मंसूरपुर गन्ना मिल के तत्कालीन चेयरमैन समरपाल सिंह के भाई की हत्या कर दी थी। उसी साल 17 अप्रैल को जमीनी विवाद के चलते हापुड़ कोतवाली
नगर में आवास विकास हापुड़ के पास दो लोगों की हत्या कर दी थी।
उन्होंने बताया कि अजीत प्रधान मुजफ्फरनगर मेें वह पकड़ा गया तथा करीब 14 महीने जेल मेें रहा। जब वह जेल से बाहर आया तो हापुड़ के कुवारपुर निवासी डा0 सतवीर जो कि उस समय गाजियाबाद मेें रहते थे, ने अजीत प्रधान के मित्र के माध्यम से अजीत प्रधान से सम्पर्क किया तथा किशोरी लाल नागपाल निवासी लक्ष्मी नगर माॅडल टाउन दिल्ली की हत्या करने के लिए पाॅच लाख रूपये देना तय हुआ था। डा0 सतवीर और किशोरी लाल नागपाल के बीच मेें बिजनेस सम्बन्धी विवाद चल रहा था तथा लेन-देन का झगडा था।
श्री मिश्र ने बताया कि इस गिरोह के सदस्यों ने बुलंदशहर के सिकन्द्राबाद निवासी राजू उर्फ राजकुमार , बब्बल उर्फ ज्ञानेन्द्र निवासी बाबूगढ छावनी हापुड़ के साथ मिलकर कर 27 मार्च 2008 को किशोरी लाल नागपाल की हत्या कर दी थी। उसके बाद अजीत प्रधान 2008 मेें ककोड इलाके मेें पकड़ा गया और तीन साल तक जेल मेें रहा। जेल मेें रहते हुए ही चार फरवरी 2011 को न्यायालय द्वारा उसे फाॅसी की सजा हुई तथा डा0 सतवीर आदि आरोपियों को आजीवन कारावास हुआ था, जिसकी अपील उच्च न्यायालय मेें की, जहाॅ से किशोरी लाल नागपाल हत्याकाण्ड से बरी हो गया। उसी दौरान वह कोतवाली नगर हापुड़ के डबल मर्डर की भी सुनवाई चल रही थी इसलिए वह डासना जेल
मेें स्थानान्तरित हो गया, जहाॅ वह पाॅच साल रहा तथा नवम्बर 2015 मेें जमानत पर छूट कर बाहर आया था। वर्ष 2017 मेें दोहरे हत्याकाण्ड मेें जिला न्यायालय से उसे आजीवन कारावास की सजा हुई और फिर जेल गया तथा लगभग 11 महीने जेल मेें रहा, जिसकी अपील उच्च न्यायालय मेें विचाराधीन है। उसके बाद गिरोह में शामिली अजीत प्रधान और उसके साथियों ने उत्तराखंड में हत्या और लूट की घटनाओं को अंजाम दिया था। गिरफ्तार बदमाश को जेल भेज दिया
गया है।
त्यागी
वार्ता