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औरैया में ईद पर सूने रहे ईदगाह

औरैया, 25 मई (वार्ता) कोरोना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए लगाये गए लाकडाउन के चलते सोमवार को ईद के त्यौहार पर औरैया में न तो सामूहिक रूप से नमाज अदा की गयी और नही कोई किसी से गले मिला वहीं हाथ मिलाकर मुबारकबाद देने से परहेज किया गया।
घरों में नमाज पढ़कर ईद मनाये जाने से बच्चों को खिलौने आदि न मिलने से उनमें मायूसी दिखी। मुस्लिम इलाकों में ईद के त्यौहार का कोई उत्साह नही नजर आया।
लॉकडाउन के कारण जिले की किसी भी ईदगाह में सामूहिक रूप से नमाज ए ईद अदा नहीं की जा सकी, हर वर्ष ईद के दिन गुलजार हो जाने वाले ईदगाह इस वर्ष सूने पड़े रहे। महामारी के डर से ईद के दिन भी लोग एक दूसरे से गले नही मिले हाथ मिलाकर भी मुबारकबाद देने से परहेज किया। ईद के दिन ईदगाहों एवं अन्य जगह लगने वाले छोटे छोटे मेले भी नहीं लग सके जिससे बच्चे खेल खिलौने न खरीद पाने से मायूस रहे।
हर वर्ष ईद के त्यौहार के दिन पुरुष महिलाएं और बच्चे नए कपड़ों में खुशी खुशी ईद का जश्न मनाते तथा एक दूसरे से गले मिलते नजर आते थे, वहीं इस वर्ष ईद के दिन इक्का दुक्का लोग और बच्चे नए कपड़े पहने दिखे। अधिकतर पुरुष महिलाएं तथा बच्चे नए कपड़े नही पहन सके, किसी के चेहरे पर खुशी के भाव नहीं दिखे, त्यौहार का उत्साह तो कहीं दिखा ही नहीं।
ईद मिलने के लिए एक दूसरों के घरो पर नहीं गए लोग, ईद के दिन गुलजार रहने वाली सड़के और गलियों में भी सन्नाटा छाया रहा। पुलिस प्रशासन चौकन्ना रहा। जिले की सभी ईदगाहों, मस्जिदों के साथ जगह जगह पुलिस फोर्स मुस्तैद रहा। कस्बा फफूंद में तीन स्थानों पर ईद की नमाज अदा की जाती है। नगर के बाहर स्थित ईदगाह व मुहल्ला बाबा का पुर्वा स्थित ईदगाह पर एक ही वक्त में नमाज ए ईद अदा होती है इसके एक घण्टा बाद आस्तना आलिया पर नमाज अदा होती है तीनो स्थानों पर पुलिस का सख्त पहरा बना रहा।
इसके अलावा शहर की तहसील मस्जिद सहित बिधूना, कुदरकोट, कस्बा खानपुर, ऐरवाकटरा, पुर्वारावत, उमरैन, रूरूगंज, सबहद, रठगांव, दिबियापुर, मुरादगंज आदि जगहों पर पुलिस शासन के निर्देशों का पालन कराने में सफल रही वहीं अजीतमल की जामा मस्जिद आर्यनगर में कुछ लोगों के एकत्रित होने पर 26 लोगों को गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया गया है।
ईद के त्यौहार के दिन ईदगाहों के लिए जाने वाले और वापिस आने वाले रास्तों पर सैकड़ों की तादात में फकीर बैठे रहते थे और नमाज के लिये आने जाने वाले नमाजी रास्तों में बैठे इन फकीरों को दान देते हुए जाते थे, नमाज के बाद दर्जनों की संख्या में फकीरों की टोलियाँ मुहल्लों में आकर सदाएँ लगाते हुए मांगते थे, पर इस वर्ष ईद पर एक भी फकीर की सदा नही सुनाई दी।
सं प्रदीप
वार्ता
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