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कानूनी राय लेने के बाद मराठा आरक्षण के संबंध में रिपोर्ट सदन में रखी जायेगी

मुंबई, 20 नवंबर (वार्ता) महाराष्ट्र सरकार ने आज शीत सत्र के दौरान कहा कि मराठा समुदाय को अारक्षण देने के मामले में राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को कानूनी राय लेने के बाद विधानसभा में रखा जायेगा।
सदन में यह भी कहा गया कि धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति के तहत आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने मराठा आरक्षण रिपोर्ट निचली सदन में पेश करने के लिए अध्यक्ष की कुर्सी के समक्ष पहुंच गये और कागज फाड़ कर फेंका तथा खूब शोरगुल किया और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मामले को सरकार ने सही तरीके से सुलझाया नहीं।
अत्यधिक शोरगुल के कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी। शोरगुल के बीच राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि राज्य की कैबिनेट ने मराठा आरक्षण के संबंध में आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है और इसके लिए विशेष ‘सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग’ बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए कैबिनेट की उप समिति बना दी गयी है, जो कानूनी राय लेगी कि क्या आयोग की सिफारिश को सदन के पटल पर रखा जाय या नहीं।
अायोग ने मराठा समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग बताया है। यदि स्थिति अत्यधिक खराब हो तक आरक्षण की सीमा 52 प्रतिशत हो सकती है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी की आरक्षण अदालत में भी मान्य हो सके। श्री पाटिल ने मुसलमानों के आरक्षण के संबंध में कहा कि धर्म के आधार आरक्षण नहीं दिया जा सकता। मुसलमानों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण दिया गया है। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से आग्रह किया कि आरक्षण मामले में राजनीति नहीं करें।
सदन में अत्यधिक शोरगुल के कारण पहले 30 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की गयी, उसके बाद 15 मिनट फिर 10 और अंत में 80 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की गयी।
विपक्षी दलों ने आरक्षण और सूखे का मुद्दा के अलावा सूखा पीड़ित किसानों को खरीफ फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रूपये और बागवानी के लिए एक लाख रुपये देने की मांग की।
शिव सेना के नेता सुनील प्रभु ने मराठा, धनगर, लिंगायत और मुसलमान समुदाय को सरकारी नौकरी और शिक्षा के लिए आरक्षण देने की मांग की।
त्रिपाठी.श्रवण
वार्ता
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