राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Feb 19 2019 11:25AM कुंभ-माघी पूर्णिमा तीन अंतिम कुंभनगरश्री प्रपन्नाचार्य ने बताया कि निर्णय सिंधु में कहा गया है कि माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। भले पूरे माह स्नान के योग न बन सकें लेकिन माघ पूर्णिमा के स्नान से स्वर्गलोक का उत्तराधिकारी बना जा सकता है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा नदी में स्नान करने आते हैं। इसलिए जो भी माघ पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान करता है उसको सभी तरह के पुण्य लाभ मिलते हैं। माघ पूर्णिमा में शुभ मुहूर्त में पूजन विधि अनुसार करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है। श्री शास्त्री ने बताया कि हिंदू धर्म में माघी पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों में माघ स्नान और व्रत की महिमा बतायी गई है। इस दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके पूजा पाठ और दान करते हैं। लेकिन यही कारण है कि इस दिन पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलीला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाने वालेे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है। उन्होंने बताया कि माघ स्नान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। माघ में ठंड समाप्त होने की ओर रहती है तथा इसके साथ ही बसंत की शुरुआत होती है। ऋतु के बदलाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े इसलिए प्रतिदिन सुबह स्नान करने से शरीर को मजबूती मिलती है। वास्तव में माघी पूर्णिमा माघ मास का आखिरी दिन है और इसके ठीक अगले दिन से ही फाल्गुन की शुरूआत होती है। दिनेश प्रदीप वार्ता