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कुंभ-माघी पूर्णिमा दो कुंभनगर

श्री शास्त्री ने बताया कि ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन भैरव जयंती भी मनाई जाती है। माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप बताया गया है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूरा फल मिलता है
श्री शास्त्री ने बताया कि अन्य महीनों में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं। माघ मास स्नान के आलावा दान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद अनाज, वस्त्र, फल, बर्तन, घी, गुड़, जल से भरा घड़ा दान करना चाहिए। दान में तिल, गुड़ और कंबल का विशेष पुण्य है। ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलेगी। शास्त्रों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन अन्न दान और वस्त्रदान का बड़ा ही महत्व है। पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्री प्रपन्नाचार्य ने बताया कि महाभारत में एक जगह इस बात का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इन दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है। वहीं पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं।
उन्होंने बताया कि साल में शरद पूर्णिमा समेत अन्य कई पूर्णिमा पड़ती है लेकिन इन सभी में माघी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है और इसदिन गंगा स्नान और दान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर भगवान विष्णु पृथ्वी पर आकर गंगा के जल में स्नान करते हैं। गंगा में किसी भी दिन और किसी भी तिथि पर स्नान करना अति उत्तम और सुखदायी माना गया है लेकिन माघ पूर्णिमा पर जब भगवान विष्णु स्वयं गंगा में स्नान करते हैं, तब इस दिन का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
दिनेश प्रदीप
जारी वार्ता
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