भारतPosted at: May 26 2020 9:58PM कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर 41.61 फीसदी
नयी दिल्ली 26 मई (वार्ता) देश में कोरोना वायरस (कोविड 19) महामारी की विकरालता बढ़ती जा रही है और अब यह विश्व भर में संक्रमण के सर्वाधिक मामलों वाले देशों में 10वें स्थान पर है लेकिन राहत की बात यह है कि देश में संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 41.61 फीसदी हो गयी है जबकि मृत्यु दर केवल 2.86 प्रतिशत है।
देश में संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर सोमवार को 41.57 फीसदी थी जबकि रविवार को यह 41.28 प्रतिशत थी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से मंगलवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 6535 नये मामले सामने आये जिससे कुल संक्रमितों की संख्या 145380 पर पहुंच गयी। फिलहाल देश में कुल 80722 की संख्या में सक्रिय मामले हैं। इससे एक दिन पहले 6977 और रविवार तथा शनिवार को क्रमश: 6767 और 6654 नये मामले सामने आये थे।
देश में कोविड-19 संक्रमण से इस दौरान 146 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 4167 हो गयी। इसी अवधि में इस बीमारी से 2770 लोग मुक्त हुए हैं जिससे स्वस्थ हुए लोगों की कुल संख्या 60491 हो गयी है।
विश्व के अन्य देशों की तुलना में हमारे देश में मृत्यु दर बहुत ही कम है। एक समय यह दर बढ़कर 3.3 फीसदी पर पहुंच गयी थी लेकिन इसके बाद इसमें लगातार गिरावट जारी है। देश में कोरोना के मामलों के दुगना होने की दर 13.2 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने कहा कि देश में कोरोना के मरीजों के ठीक होने की दर मार्च में 7.1 प्रतिशत थी और दूसरे लॉकडाउन के समय यह 11.42 प्रतिशत हो गई थी और तीसरे लॉकडाउन के समय यह 26.69 तथा चौथे लॉकडाउन के बाद अब यह 41.61 प्रतिशत हो गई है।
विश्व के अन्य देशों की औसत मृत्यु दर 6.45 प्रतिशत की तुलना में भारत में मृत्यु दर बहुत कम है और पहले यह 3.3 प्रतिशत(15 अप्रैल तक) थी जो अब और घटकर 2.87 प्रतिशत हो गई है। विश्व के अन्य देशों में जहां प्रति लाख कोविड मरीजों की 69.9 हैं वहीं भारत में यह 10.7 प्रति लाख है। विश्व में प्रति लाख होने वाली मौतें 4.5 है जबकि भारत में यह 0.3 मौतें प्रति लाख आबादी है।
उन्होंने कहा कि इस समय हमारा पूरा ध्यान केसों के बढ़ने पर नहीं होना चाहिए बल्कि लोगों के जीवन को बचाने पर होना चाहिए क्योंकि यह एक संक्रामक रोग है और जब तक इसकी कोई कारगर दवा या वैक्सीन नहीं बन जाती है तब तक सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत साफ-सफाई और अन्य सावधानियों को अपनाना जरूरी है।
इस बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डा़ बलराम भार्गव ने कहा है कि भारत जैसे देश के लिए ‘हर्ड इम्युनिटी’ के प्रयोग काे आजमाना विनाशकारी कदम साबित होगा और इस तरह के जो सुझाव दिए जा रहे हैं उनसे कोरोना को हराने में कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि कई विकसित देश इसका परिणाम भुगत चुके हैं।
डा़ भागर्व ने यूनीवार्ता को बताया कि हमारे देश की आबादी बहुत अधिक है, जनसंख्या घनत्व भी अधिक है और कुछ एजेंसियों ने यहां ‘हर्ड इम्युनिटी’ यानि सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के जो सुझाव दिए हैं वे विनाशकारी कदम साबित हो सकते हैं क्योंकि इससे लाखोंं लोगों की मौत हो सकती है जिसे देश किसी भी हालत में स्वीकार नहीं कर सकता है।
उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयोग के लिए देश की कम से कम 60 प्रतिशत आबादी में इस विषाणु के संक्रमण को फैलने की अनुमति दी जाती है यानि लोगों को किसी तरह की सावधानी नहीं बरतने के बजाए उन्हें पहले की तरह रहने को कहा जाता है। इसका मूल आधार है कि लोग अधिक मिलेंगे तो उनमें विषाणु का प्रसार तेजी से होगा और जब वे संक्रमित हाेंगे तो शरीर इस विषाणु के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर लेगा यानि उनमें प्रतिरक्षी अर्थात एंटीबॉडी बन जाएंगे।
इस तरह का प्रयोग देश के लोगों के साथ किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता है यानि हम उन्हें जानबूझकर विषाणु की चपेट में आने का मौका देंगें और फिर यह देखेंगे कि उनके शरीर में एंटीबॉडी बने है या नहीं। लेकिन कईं बार स्थिति इससे विपरीत हो सकती है और विश्व के कईं देशों ने इस तरह के प्रयोग को आजमाया था और लोगों ने किसी तरह की कोई सावधानी नहीं बरती , सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया और उनके नतीजे सबके सामने हैं तथा इन्हीं विकसित देशों में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है।
संजय, रवि
जारी.वार्ता