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कृष की इच्छामृत्यु के मांग मामले की भागलपुर जिला प्रशासन ने कराई जांच

भागलपुर 17 जुलाई (वार्ता) आधुनिक जीवनशैली में करियर बनाने की सनक में मां-बाप के बीच बढ़ी दूरियों ने चौदह साल के पुत्र कृष राज मित्र को मानसिक एवं भावनात्मक रूप से इतना प्रताड़ित कर दिया कि उसने मृत्यु की इच्छा जता दी और अब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को पत्र भेज मांगी गई उसकी इच्छामृत्यु के मामले की जांच बिहार के भागलपुर जिला प्रशासन ने करा ली है।
भागलपुर के जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने आज यहां बताया कि कृष की काउंसलिंग कराई जा रही है। इसके साथ ही कहलगांव के अनुमंडल पदाधिकारी और पुलिस उपाधीक्षक को बच्चे की सुरक्षा के हालात की भी समय-समय पर समीक्षा करने को कहा गया है। वह कहलगांव एनटीपीसी में ड्राइवर के पद से अवकाशप्राप्त अपने दादा के साथ रह रहा है। उन्होंने बताया कि कृष के माता-पिता के आपसी रिश्ते और दूसरे हरेक पहलुओं पर जांच कराई गई है। फिलहाल उसे पूरी सुरक्षा प्रदान की गई है ।
कहलगांव एनटीपीसी स्थित एक विद्यालय में पढ़नेवाले कृष राज ने इसी साल मानवाधिकार आयोग से लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक को एक पत्र भेज इच्छामृत्यु की इजाजत मांगी है। पत्र में उसने लिखा है, “मां अपनी नौकरी और तरक्की के लिए उसे बचपन से ही दादा-दादी के पास छोड़ दिया। मां सुजाता कुमारी बैंक में नौकरी करती है और पटना में पदस्थापित हैं। पिता मनोज कुमार मित्र झारखंड के देवघर में ग्रामीण विकास महकमे में कार्यरत हैं और कैंसर से पीड़ित है। मैं अपने पापा को खोना नहीं चाहता हूं।” कृष ने पत्र में पिता पर मां की ओर से दर्ज कराये गये मुकदमे का भी जिक्र है।
कृष के पत्र पर 27 मार्च 2019 को राष्ट्रीय महिला आयोग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से मामले की जांच कराने को कहा था। इस पर बाल संरक्षण आयोग के वरीय परामर्शदाता रमण कुमार गौड़ ने भागलपुर के जिलाधिकारी को 29 अप्रैल 2019 को पत्र भेजकर मामले की जांच कराने को कहा था। साथ ही रिपोर्ट दस दिनों में सौंपने की हिदायत दी थी लेकिन संसदीय चुनाव की वजह से मामला दब गया।
अब इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय के संज्ञान लेने पर जिलाधिकारी का कार्यालय हरकत में आ गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी स्मरण पत्र भेज सात दिनों में जबाव मांगा है। जानकार बताते है कि कृष के माता-पिता के आपसी रिश्ते वर्ष 2011 से ज्यादा बिगड़े है। लेकिन, दुखद पहलू यह है कि उसकी पीड़ा बच्चे को झेलनी पड़ रही है।
सं सूरज
वार्ता
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