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किसानों को मुफ्त बिजली की सुविधा हो सकती है समाप्त

जालंधर 25 मई (वार्ता) वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी पूर्णबंदी के कारण जहां किसान पहले से ही परेशान चल रहे हैं ऐसे में अगर मानसून सत्र में बिजली संशोधन विधेयक 2020 पारित हो जाता है तो कृषि क्षेत्र को मिलने वाली मुफ्त बिजली सहित सभी घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर मिलने वाली सब्सिडी की सुविधा समाप्त हो जाएगी।
इस माहमारी के बीच केंद्र सरकार बिजली संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को जुलाई माह में होने वाले संसद के मानसून सत्र में पारित कराने पर तुली हुई है। यह विधेयक पारित हो जाने के बाद बिजली का नया क़ानून आ जायेगा जिसमें किसी भी उपभोक्ता, यहां तक कि किसानों को भी बिजली न मुफ्त मिलेगी और न ही सस्ती मिलेगी। नए क़ानून के अनुसार बिजली दरों में मिलने वाली सब्सिडी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और किसानों सहित सभी घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली की पूरी लागत देनी होगी।
अभी किसानों को मुफ्त बिजली मिलती है अथवा प्रति हार्स पावर के हिसाब से बहुत कम दरों पर बिजली मिलती है। देश में बिजली की औसत लागत 6.73 रुपये प्रति यूनिट है। बिजली के निजीकरण के बाद निजी कंपनी को अधिनियम के अनुसार कम से कम 16 फीसदी मुनाफा लेने का अधिकार होगा। बिजली की औसत लागत आठा रुपये प्रति यूनिट से कम कीमत पर बिजली नहीं मिलेगी। एक किसान यदि साल भर में 8500 से 9000 यूनिट बिजली खर्च करता है तो उसे 72000 रुपये सालाना बिजली का बिल देना पडेगा जो अब तक 6000 रुपये प्रति माह आता है। बिजली की दरों में सब्सिडी समाप्त होने के बाद किसानों को बिजली का पूरा बिल देना होगा।
ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह को पत्र भेजकर कहा है कि बिजली अधिनियम 2003 में संशोधन करने के विरोध में देशभर के बिजली कर्मियों और अभियंता एक जून को काला दिवस मनाएंगे।
फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा बिजली का निजीकरण करने के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 का मसौदा जारी करने का पुरजोर विरोध किया जाएगा। इसके अंतर्गत बिजली कर्मचारी और इंजीनियर अपने कार्य पर रहते हुए पूरे दिन दाहिने हाथ पर काली पट्टी बांधकर निजीकरण के लिए लाए गए विधेयक का पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपदा की इस कठिन घड़ी में जब सब एकजुट होकर इसका मुकाबला कर रहे हैं तब इस विधेयक को ठंडे बस्ते में डालना ही राष्ट्रहित में है। स्थिति सामान्य होने पर ही विधेयक पर सार्थक बहस का वातावरण बन सकेगा अतः बिल को तत्काल रोक दिया जाए।
फेडरेशन ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी अपील की है कि वे केंद्रीय विद्युत मंत्री से वर्तमान विपत्ति के समय को देखते हुए विधेयक स्थगित करने की मांग करें।
ठाकुर, उप्रेती
वार्ता
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