लखनऊ,14 जून (वार्ता) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि किसानों की समृद्धि बढ़ाने में मोटे अनाज सहायक हैं और इनके बढ़ावे के लिए एक और नई हरित क्रान्ति लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हर काल बुरा ही नहीं, बल्कि कुछ अच्छे पहलू भी देता है। कोविड-19 महामारी काल में भी एक बात स्पष्ट हुई है कि लोग अपने स्वास्थ्य के साथ खान-पान के प्रति अत्यधिक जागरूक हुए हैं। इम्युनिटी बढ़ाने वाले आहार का सेवन अधिक करने लगे। क्योंकि मोटे अनाजों में फाइबर एवं अन्य पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। इस प्रकार हमारे पारम्परिक भारतीय जीवन में प्रयुक्त होने वाली खाद्य सामग्री कोराना काल में उपयोगी सिद्ध हुई है।
श्रीमती पटेल ने आज ये विचार प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अपने 32वें स्थापना दिवस पर आयोजित ‘मोटे अनाज: प्रतिरक्षा एवं पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सम्भावनाएं एवं अवसर’ वेबिनार में व्यक्त किये।
राज्यपाल ने कहा कि हम भारतवासियों को कोरोना काल में इम्युनिटी बढ़ाने की जरूरत इसलिये पड़ी क्योंकि हमने देश के पारम्परिक अनाजों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, संवा, कोदों से दूरी बना ली और गेहूं-चावल का अधिक प्रयोग करने लगे। उन्होंने कहा कि यही मोटा अनाज खाकर हमारे पूर्वज लम्बे समय तक जीवित रहें। आज पूरी दुनिया मोटे अनाज की ओर वापस लौट रही है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मोटे अनाजों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि गेहूं एवं चावल जीवन की ऊर्जा एवं शारीरिक विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, लेकिन इम्युनिटी कम हो रही है। इसके परिणाम स्वरूप मानव शरीर में कई प्रकार की दैहिकीय समस्याओं तथा गम्भीर बीमारियों की समस्याएं उत्पन्न हो गई। यही कारण है कि आज केन्द्र सरकार भी मोटे अनाजों की खेती पर जो दे रही है। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया था। और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ने से अब खाद्य और कृषि संगठन ने वर्ष 2023 को ‘अंतराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित कर दिया है।
त्यागी
जारी वार्ता