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लोकरुचि


कभी गरजती थीं जहॉ डाकुओ की बंदूकें अब दहाड़ते हैं शेर

कभी गरजती थीं जहॉ डाकुओ की बंदूकें अब दहाड़ते हैं शेर

इटावा, 06 मई (वार्ता) दो दशक पहले तक दुर्दांत डाकुओं की शरणस्थली रही चंबल घाटी में बंदूको की तडतडाहट से इलाका कांपा करता था लेकिन पर्यटन मानचित्र में तेजी से मजबूत पैठ बना रही इस सुरम्य घाटी में आजकल शेरों की दहाड़ पर्यटकों के बीच कौतूहल का केन्द्र बनी हुयी है।

इटावा सफारी पार्क के निदेशक वी.के.सिंह ने आज यहॉ ‘यूनीवार्ता’ को एक विशेष भेंट मे बताया कि पर्यटकों को चंबल के बीहड़ का पिछला इतिहास भी बताया जाएगा। इससे सफारी पार्क को लेकर उनका आकर्षण भी बढ़ेगा । इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं । ऐसी संभावना बन रही है कि बरसात की शुरूआत हो जाने के बाद पहली जुलाई के आसपास सफारी पार्क का उदघाटन करा दिया जाए और पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो जाए । पर्यटकों के लिए दो बंद बसें बनवाई जा रही हैं, जिनमें पर्यटक घूमेंगे और वन्य जीव खुले में विचरण करेंगे।

सिंह ने बताया कि सफारी खोले जाने से पहले सभी तैयारियां पूरी करनी है । इसके लिए कर्मचारियों को ट्रेंड किया जाना है और उनका प्रशिक्षण शुरू भी करा दिया गया है । कर्मचारियों को वन्य जीवों के साथ किस तरीके का व्यवहार करना है, यह तो बताया ही जा रहा है। इसके साथ ही पर्यटकों को किस तरह से जानकारी दी जाएगी। इसमें भी ट्रेंड किया जा रहा है।

सं प्रदीप

जारी वार्ता

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