Friday, Apr 19 2024 | Time 19:08 Hrs(IST)
image
राज्य » राजस्थान


कल्ला का टिकट कटने से हैरान औैर आक्रोशित हैं समर्थक

बीकानेर ,16 नवम्बर (वार्ता) कांग्रेस द्वारा राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिये घोषित उम्मीदवारों की सूची से कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और मंत्री रहे बीकानेर के डा़ बुलाकी दास कल्ला के स्थान पर यशपाल गहलोत का नाम देखकर उनके समर्थकों के साथ जानकार भी हैरान रह गये।
पिछले तीन दशकों से विधानसभा चुनावों में बीकानेर पश्चिम से डा़ कल्ला का चेहरा देखने के आदी हो चुके उनके समर्थकों के साथ ही क्षेत्र के मतदाताओं को भी सहज विश्वास नहीं हो पा रहा है कि कल्ला चुनावी मैदान से बाहर हो गये हैं। हालांकि दो चुनाव लगातार हारने से डा़ कल्ला के साथ उनके समर्थकों को भी कुछ आशंकायें तो थीं लेकिन, कांग्रेस के पास उनका प्रभावी विकल्प न होने से वे आशान्वित थे, लेकिन उनकी यह खुशफहमी बीकानेर जिले के ही एक ताकतवर नेता का उनके प्रति विरोध, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की युवाओं को प्राथमिकता देने और लगातार दो बार चुनाव हारने वालों को टिकट न देने की नीति पर अड़े रहने से दूर हो गई।
इस क्षेत्र से टिकट पाने वाले यशपाल गहलोत का खास कद नहीं रहा है। वह दो बार से कांग्रेस शहर अध्यक्ष हैं। हालांकि उन्होंने टिकट के लिय दावेदारी जताई थी, लेकिन उनकी दावेदारी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। यहां तक कि उनके समर्थकों को भी भरोसा नहीं था। यही वजह है कि उन्हें टिकट मिलना अप्रत्याशित लग रहा है। वर्ष 1980 से चुनाव लड़ रहे कल्ला कुल तीन बार चुनाव हार चुके हैं। वर्ष 1993 में पहली हार के बाद वे संभल गये और 1998 और 2003 में वे विधायक चुने जाते रहे, लेकिन वर्ष 2008 और 2013 में लगातार दो हारों ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी।
दो हार के बावजूद कल्ला ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने लगातार सक्रिय रहकर विरोधियों को चेता दिया कि वह मैदान नहीं छोड़ने वाले। कांग्रेस की स्थानीय राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाये रखने के लिये पार्टी की ओर से धरना प्रदर्शन और अन्य कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे। उन्होंने क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर अनशन भी किया। छह महीने पहले पार्टी में लगातार दो बार चुनाव हारने वालों को टिकट न देने की चर्चा से वह परेशान हो गये। जब जब यह चर्चा जोर पकड़ती, उनके दिल्ली के फेरे बढ़ जाते। अपनी दावेदारी पर बल देने के लिये उन्होंने चुनावों की घोषणा के बाद बीकानेर के प्रमुख समाचार पत्रों में अपनी पुरानी उपलब्धियों का बखान करते हुए पूरे पृष्ठ के विज्ञापन प्रकाशित करवाये। यही नहीं जब उनके टिकट कटने की चर्चायें होने लगीं तो उन्होंने अपने क्षेत्र में बड़ी रैली करके अपनी ताकत भी दिखाई, लेकिन बताया जाता है कि एक ताकतवर नेता की वजह से उनकी सारी कोशिशें नाकाम हो गईं।
फिलहाल डा़ कल्ला ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। उनकी यह चुप्पी ही उनकी भविष्य की रणनीति तय करेगी। वह अनुभवी और राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। संभावना है कि जल्दबाजी में वह आत्मघाती कदम नहीं उठायेंगे, लेकिन उनके समर्थक खामोश नहीं बैठे है। वे कल रात सूची जारी होने के बाद से ही उद्वेलित हैं। आज डागा चौक पर इकट्ठे होकर उन्होंने उग्रता दिखाई और अब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से उन्हें टिकट देने की मांग कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में बड़ी संख्या में मेल किये जा रहे हैं। उनके समर्थक कल कल्ला के दो नामांकन पत्र दाखिल करने की बात कर रहे हैं। एक निर्दलीय और एक कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर। हालांकि डा़ कल्ला औेर उनके परिजनों ने इस पर किसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। वैसे यह भी तय है कि डा़ कल्ला का चुनाव मैदान से हटना आस पास की सीटों पर असर डाल सकता है।
सुनील सैनी
वार्ता
image