Wednesday, Apr 24 2024 | Time 23:43 Hrs(IST)
image
मनोरंजन


कव्वाली को संगीतबद्ध करने में माहिर थे रौशन

कव्वाली को संगीतबद्ध करने में माहिर थे रौशन

..जन्मदिवस 14 जुलाई  ..

मुंबई 13 जुलाई (वार्ता) हिंदी फिल्मों में जब कभी कव्वाली का जिक्र होता है तो संगीतकार रौशन का नाम सबसे पहले लिया जाता है।

वर्ष 1960 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म ‘बरसात की रात’ में यूं तो सभी गीत लोकप्रिय हुये लेकिन रौशन के संगीत निर्देशन में मन्ना डे और आशा भोसेले की आवाज में साहिर लुधियानवी रचित कव्वाली ..ना तो कारवां की तलाश ..और ..मोहम्मद रफी की आवाज में ..ये इश्क इश्क है ..आज भी श्रोताओं के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़े हुये है। वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म ..दिल ही तो है ..में आशा भोसले और मन्ना डे की युगल आवाज में रौशन की संगीतबद्ध कव्वाली ..निगाहें मिलाने को जी चाहता है ..आज जब कभी भी फिजाओं में गूंजता है तब उसे सुनकर श्रोता अभिभूत हो जाते हैं।

तत्कालीन पश्चिमी पंजाब के गुजरावालां शहर अब पाकिस्तान में 14 जुलाई 1917 को एक ठेकेदार के घर में जन्मे रौशन का रुझान बचपन से ही अपने पिता के पेशे की और न होकर संगीत की ओर था। संगीत की ओर रुझान के कारण रौशन अक्सर फिल्म देखने जाया करते थे। इसी दौरान उन्होंने एक फिल्म .पुराण भगत. देखी, जिसमें सहगल की आवाज में एक भजन रौशन को काफी पसंद आया। इस भजन से वह इतने ज्यादा प्रभावित हुये कि उन्होंने यह फिल्म कई बार देख डाली। ग्यारह वर्ष की उम्र आते-आते उनका रुझान संगीत की ओर हो गया और वह उस्ताद मनोहर बर्वे से संगीत की शिक्षा लेने लगे।

मनोहर बर्वे स्टेज के कार्यक्रम को भी संचालित किया करते थे। उनके साथ रौशन ने देश भर में हो रहे स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। मंच पर जाकर मनोहर बर्वे जब कहते कि ..अब मै आपके सामने देश का सबसे बड़ा गवइया पेश करने जा रहा हूं तो रौशन मायूस हो जाते क्योंकि गवइया शब्द उन्हें पसंद नहीं था। उन दिनों तक रौशन यह तय नही कर पा रहे थे कि गायक बना जाये या फिर संगीतकार।

कुछ समय के बाद रौशन घर छोड़कर लखनऊ चले गये और मॉरिस कॉलेज ऑफ म्यूजिक में प्रधानाध्यापक रतन जानकर से संगीत सीखने लगे। लगभग पांच वर्ष तक संगीत की शिक्षा लेने के बाद वह मैहर चले आये और उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत की शिक्षा लेने लगे। एक दिन अलाउद्दीन खान ने रौशन से पूछा, "तुम दिन में कितने घंटे रियाज करते हो तो उन्होंने गर्व से कहा दिन में दो घंटे और शाम को दो घंटे। यह सुनकर अल्लाउदीन खान बोले यदि तुम पूरे दिन में आठ घंटे रियाज नहीं कर सकते हो तो अपना बोरिया बिस्तर उठा कर यहां से चले जाओ। रौशन को यह बात चुभ गयी और उन्होंने लगन के साथ रियाज करना शुरू कर दिया। शीघ्र ही उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने सुर के उतार-चढ़ाव की बारीकियों को सीख लिया।

इन सबके बीच रौशन ने बुंदु खान से सांरगी की शिक्षा भी ली। रौशन ने वर्ष 1940 में आकाशवाणी केंद्र दिल्ली में बतौर संगीतकार अपने करियर की शुरुआत की। बाद में उन्होंने आकाशवाणी से प्रसारित कई कार्यक्रमों में बतौर हाउस कम्पोजर भी काम किया। वर्ष 1949 मे फिल्मी संगीतकार बनने का सपना लेकर रौशन दिल्ली से मुंबई आ गये। मुंबई में एक वर्ष तक संघर्ष करने के बाद उनकी मुलाकात जाने-माने निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा से हुयी। रौशन के संगीत बनाने के अंदाज से प्रभावित केदार शर्मा ने उन्हें अपनी फिल्म ‘नेकी और बदी’ में बतौर संगीतकार काम करने का मौका दिया।

अपनी इस पहली फिल्म के जरिये भले ही रौशन सफल नहीं हो पाये लेकिन संगीतकार के रूप में उन्होंने अपने सिने करियर के सफर की शुरू अवश्य कर दी। वर्ष 1950 में एक बार फिर रौशन को केदार शर्मा की फिल्म बावरे नैन में संगीत देने का मौका मिला। फिल्म बावरे नैन में मुकेश के गाये गीत 'तेरी दुनिया में दिल लगता नहीं' की कामयाबी के बाद रौशन फिल्मी दुनिया मे संगीतकार के तौर पर अपनी पहचान बनाने मे सफल रहे।

रौशन के संगीतबद्ध गीतों को सबसे ज्यादा मुकेश ने अपनी आवाज दी थी। गीतकार साहिर लुधियानवी के साथ रौशन की जोड़ी खूब जमी। इन दोनों की जोड़ी के गीत-संगीत ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इन गीतों में 'ना तो कारवां की तलाश है, जिंदगी भर नही भूलेगी वो बरसात की रात, लागा चुनरी में दाग, जो बात तुझमें है, जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा, दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें जैसे मधुर नग्में शामिल हैं। रौशन को वर्ष 1963 मेंं प्रदर्शित फिल्म ताजमहल के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। हिन्दी सिने जगत को अपने बेमिसाल संगीत से सराबोर करने वाले महान संगीतकार रौशन 16 नवंबर 1967 को सदा के लिये इस दुनिया को अलविदा कह गये।

 

More News
तरुण खन्ना ने दिल्ली में स्थापित 4डी ‘लक्ष्मी नारायण’ की मंदिर की तारीफ की

तरुण खन्ना ने दिल्ली में स्थापित 4डी ‘लक्ष्मी नारायण’ की मंदिर की तारीफ की

24 Apr 2024 | 5:32 PM

मुंबई, 24 अप्रैल (वार्ता) टीवी अभिनेता तरुण खन्ना ने दिल्ली में स्थापित 4डी ‘लक्ष्मी नारायण’ की मंदिर की तारीफ करते हुये इसे ‘आध्यात्मिक शांति का स्रोत’ बताया है।

see more..
27 अप्रैल को भोजपुरी सिनेमा पर होगा नमस्ते सासू जी का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर

27 अप्रैल को भोजपुरी सिनेमा पर होगा नमस्ते सासू जी का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर

24 Apr 2024 | 3:44 PM

मुंबई, 24 अप्रैल (वार्ता)सास बहू के खट्टे-मीठे रिश्तों पर आधारित पारिवारिक फिल्म नमस्ते सासू जी का वर्ल्ड टेलिविजन प्रीमियर 27 अप्रैल को भोजपुरी सिनेमा पर किया जा रहा है।

see more..
यश कुमार की 100वीं फिल्म दिलदार सांवरिया 2 की शूटिंग शुरू

यश कुमार की 100वीं फिल्म दिलदार सांवरिया 2 की शूटिंग शुरू

24 Apr 2024 | 3:40 PM

मुंबई, 24 अप्रैल (वार्ता) भोजपुरी सिनेमा के जानेमाने अभिनेता यश कुमार की 100वीं फिल्म दिलदार सांवरिया 2 की शूटिंग शुरू हो गयी है।

see more..
ज़ी सिनेमा पर 28 अप्रैल को होगा ‘तेजस’ का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर

ज़ी सिनेमा पर 28 अप्रैल को होगा ‘तेजस’ का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर

24 Apr 2024 | 3:31 PM

मुंबई, 24 अप्रैल (वार्ता) बॉलीवुड अभिनेत्री कंगन रनौत की फिल्म तेजस का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर 28 अप्रैल को जी सिनेमा पर होगा।

see more..
image