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गोण्डा के कृष्णपाल सिंह से कैसे बने स्वामी चिन्मयानंद

गोण्डा के कृष्णपाल सिंह से कैसे बने स्वामी चिन्मयानंद

लखनऊ, 20 सितम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर की विधि की एक छात्रा द्वारा यौन शोषण के अरोप लगाने के बाद पिछले करीब एक माह से सुर्खियों में आये पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद मूल रुप से गोण्डा जिले के रहने वाले कृृृष्णपाल सिंह हैं ।

करीब आठ साल में यह दूसरा मौका है जब स्वामी चिन्मयानंद पर गंभीर यौन शौषण के आरोप लगे हैं और इन दिनों देश भर में चर्चा में हैं। इसके पहले एक पूर्व छात्रा ने स्वामी पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था। करीब आठ साल बाद चिन्मानंद पर उनके ही कॉलेज की एक छात्रा ने यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए और मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा और एसआइटी ने जांच के बाद आज उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

गोण्डा जिले के गोगिया पचदेवरा गांव के मूल निवासी कृष्णपाल उर्फ चिन्मयानंद का जन्म तीन मार्च 1947 को हुआ था। घर का माहौल धार्मिक था। साधु-संतों का आना-जाना रहता था। इसी कारण कृष्णपाल पर भी धार्मिक प्रभाव बढ़ने लगा और इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया था और पंजाब चले गए थे। कुछ समय तक वहां रहने के बाद वृंदावन आ गए थे।

1971 में चिन्मयानंद परमार्थ आश्रम ऋषिकेश पहुंचे। ऋषिकेश में साधु-संत के बीच रहने पर उन्हें वहां चिन्मयानंद का नाम मिला और कृष्णपाल सिंह से वह चिन्मयानंद हो गए। उन्हांने इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिजनल फिलास्फी से स्नातक एवं परास्नातक की परीक्षा पास की और 1982 में दर्शनशास्त्र में बनारस विश्वविद्यालय से पीएचडी की ।

कांग्रेसी विचारधारा का परिवार होने के बावजूद वह राष्ट्रीय स्वमं सेवक संघ से जुड़ गये। उनके चचेरे भाई उमेश्वर प्रताप सिंह कांग्रेस से विधायक रहे, लेकिन चिन्मयानंद संघ की विचारधारा के समर्थक थे। वह जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े। संघ की एकात्मता यात्रा में भी भागीदारी की। फिर रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए।

उन्होंने सात अक्टूबर 1984 को सरयू तट पर राम जन्मभूमि का संकल्प लिया। स्वामी चिन्मयानंद 19 जनवरी 1986 को रामजन्मभूमि आंदोलन संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक बने। वर्ष 1989 में स्वामी निश्चलानंद के अधिष्ठाता पद छोडऩे के बाद करीब 30 साल पहले स्वामी चिन्मयानंद शाजहांपुर मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता बनकर शाहजहांपुर आए।

इस बीच उनका राजनीतिक कद भी तेजी से बढ़ा और चिन्मयानंद तीन बार सांसद रहे। वर्ष 1991 में भाजपा ने उन्हें बदायूं से टिकट दिया। वह जीत गए। उसके बाद 1996 में शाहजहांपुर से हारे, 1998 में जौनपुर के मछलीशहर से सांसद बने , 1999 में जौनपुर से जीते। वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली थी। स्वामी दिवंगत प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी के करीबी रहे ।

गोरक्षपीठ से भी स्वामी चिन्मयानंद का बहुत पुराना नाता रहा है। वर्षों से वह गोरक्षपीठ के कार्यक्रमों में जाते रहे हैं। महंत अवैद्यनाथ को वह अपना राजनीतिक प्रेरणा स्त्रोत मानते रहे । शाहजहांपुर और हरिद्वार समेत देश के कई संस्थाओं के अध्यक्ष भी स्वामी चिन्मयानंद रहे हैं।

वक्त का मिजाज कब बदल जाये पता नहीं चलाता । एक समय ऐसा था जब गृह राज्य मंत्री बने स्वामी चिन्मानंद की सुरक्षा में पुलिस उनके आगे पीछे रहती थी, लेकिन आज नजारा बदल गया और पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर अदालत से जेल लेकर जा रही थी।

त्यागी

वार्ता

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