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गाेविंद सागर बांध को बचाने के लिए लगाये गये साइफन बनते हैं नगर की तबाही की वजह

गाेविंद सागर बांध को बचाने के लिए लगाये गये साइफन बनते हैं नगर की तबाही की वजह

ललितपुर 16 सितम्बर (वार्ता)। देश भर के अधिकांश हिस्सों में बारिश ने भयानक तबाही मचायी हुई है और मध्य प्रदेश में भी इस बार रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो रही है यहां की नदियों का जलस्तर बढने और इन पर बने बांधों से छोड़े जाने वाले पानी से कई इलाकों में बाढ़ कहर बरपा रही है और कई इलाकों पर जलमग्न होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के ललितपुर में देखने को मिल रहा है जहां शहर के बीचों बीच बने बांध के जलाश्य लबालब भरने के बाद बांध में लगे साइफनों के खुलने की आशंका में निचले हिस्से में रहने वालों की रात की नींद और दिन का चैन छीन लिया है।

ललितपुर स्थित बांध की सुरक्षा के लिए लगाये गये साइफन शहर के निचले हिस्से में रहने वाले लोगों की जिंदगी के लिए बड़ा खतरा हमेशा बने रहते हैं। अंग्रेजों के द्वारा बनाये गये गोविंद सागर बांध के अलावा राजघाट में स्थित राजघाट बांध एवं तालबेहट के निकट स्थित माताटीला बांध द्वारा प्रति वर्ष इतनी तबाही मचाई जाती है कि जनजीवन बुरी तरह अस्त—व्यस्त हो जाता है। ललितपुर नगर में स्थित गोविंद सागर बांध के साइफन खुलने से आधा नगर जलमग्न हो जाता है एवं तबाही ही तबाही देखने को मिलती है। इस बांध के अलावा यह स्वचालित साइफन प्रणाली भाखड़ा नागल बांध एवं नागार्जुन बांध में इस्तेमाल की गयी है।

साइफन प्रणाली बांध को टूटने से बचाने के लिए बनायी गयी एक व्यवस्था है जिसके तहत बांध के जलाश्य के लबालब हो जाने के बाद गेटों को खोलने से भी जलस्तर कम नहीं होता तो पानी और हवा के दबाव में साइफन खुल जाते हैं । इन बडे बडे पंखों से पानी बेहद तेज गति से बाहर निकलता है और जलाश्य में जलस्तर सामान्य होने के बाद स्वत: ही साइफन बंद हो जाते हैं। इस तरह बांध को नुकसान से तो बचा लिया जाता है लेकिन प्रभावित क्षेत्र में कुछ समय में ही बेहद तीव्रता से पानी बढता है और जलप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

बांध के साइफन सन 1983, 2013 एवं विगत 15 अगस्त 2019 को खुल चुके हैं, पानी का बहाव इतना तेज था कि शहर के मोहल्ला गोविन्द नगर स्थित मा. काशीराम कालोनी की एक मंजिला मकान डूब गये थे एवं शहर के मोहल्ला नदीपुरा, गोविन्द नगर, लक्ष्मीपुरा, डोडाघाट क्षेत्र के मकानों में पानी भर गया था एवं कच्चे मकान जमींदोज हो गये थे और यहां पर रहने वालोंं की जमकर तबाही हुयी थी। हजारों लोगोंं को सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन द्वारा नगर में स्थित महाविद्यालयोंं में ले जाकर रोका गया था।

शहर के बीचोंं बीच बना यह बांध एक ओर वैसे ही वर्षाकाल में लोगों के लिए चिंता का सबब बना रहता है दूसरी ओर इसकी समय से और गुणवत्तापूर्ण तरीके से मरम्मत आदि नहीं कराये जाने से खतरा और बड़ा हो जाता है। बांध को करीब से देखने के लिए लोहे के पोल सुरक्षा की दृष्टि से गेट के पास लगाए गए हैं, लेकिन जिन खंभों पर ये टिके हैं, उनमें से कई सीमेंटेड पोल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। वहीं, बांध की क्षतिग्रस्त चहारदीवारी की मरम्मत नहीं हो सकी है। इससे सैलानियों की सुरक्षा को भी खतरा बना हुआ है।

वर्ष 1952 में बने इस बांध का उद्घाटन प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने किया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम गोविंद सागर बांध रखा गया था। बांध का जलस्तर 1194 मीटर है और वर्तमान में लगातार बारिश से यह 1193़ 5 पर आ गया है। यही बात शहर में विशेषकर निचले हिस्से में रहने वाले लोगों के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गयी है। बांध से अतिरिक्त पानी को निकालने के लिए 18 गेट लगाये गये हैं और सिंचाई के लिए पानी छोड़ने को बांध के दायीं और बांयी ओर से नहर निकाली गयी है इसके अलावा साइफन प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है।

नगर के बीच में स्थित गोविंद सागर बांध जहां एक ओर अपनी स्थिति और विशेषताओं को लेकर लोगों को आर्कषित करता है तो वहीं दूसरी ओर शासन द्वारा इसके रखरखाव मे बरती जा रहीं असावधानियां बांध काे और लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहीं है ।

सं सोनिया

वार्ता

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