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चुनाव आयुक्त लवासा का लेख एक मजाक : चतुर्वेदी

हल्द्वानी 18 जनवरी (वार्ता) रेमन मैगसेसे पुरस्कार प्राप्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के लेख को मजाक करार देते हुए कहा है कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस)के सम्पूर्ण करियर में सार्वजनिक महत्व के मामलों पर ईमानदारी से कार्य करने के दौरान उन्हें कब प्रताड़ित किया गया।
श्री चतुर्वेदी ने दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित श्री लवासा के लेख पर टिप्पणी करते हुए उन्हें संलग्नकों सहित 90 पन्नों का खुला पत्र लिखा है।
नैनीताल जिले के हल्द्वानी में वानिकी अनुसंधान संस्थान में मुख्य वन संरक्षक के पद पर कार्यरत चतुर्वेदी ने शनिवार को यूनीवार्ता से साझा किये अपने पत्र में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा से प्रश्न किया है कि अपने सम्पूर्ण करिअर में सार्वजनिक महत्व के मामलों में ईमानदारी से कार्य करते हुए उनका सत्ता प्रतिष्ठान से कब संघर्ष हुआ है।
उन्होंने चुनाव आयुक्त को सम्बोधित पत्र में कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट के अनुसार उन्हें (श्री लवासा) राज्य तथा केन्द्र सरकार में हमेशा महत्वपूर्ण ओहदों पर पूर्ण समय तक के लिए तैनाती दी गयी है।
उन्होंने पत्र में यह भी जिक्र किया है कि कैसे उनके अंतरराज्जीय प्रतिनियुक्ति के मामले में केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण(कैट) ने मई 2015 से जून 2016 के बीच पांच बार तत्कालीन वन एवं पर्यावरण सचिव अशोक लवासा को मामले में अनावश्यक विलम्ब करने और नियुक्ति मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीएए) की शक्तियों का स्वंय प्रयोग कर अवैध आदेश पारित करने पर प्रतिकूल टिप्पणियां की थी।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि न्यायालय की इन टिप्पणीयों और अंतरराज्जीय प्रतिनियुक्ति के मामले में अपने क्रिया-कलापों को श्री लवासा अपने इस लेख के संदर्भ में कैसे जायज ठहरा सकते हैं। उन्होंने श्री लवासा से यह भी अपेक्षा की है कि वह राजकीय सेवा में ईमानदारी से होने वाली तकलीफों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनके लेख से शुरु हुई चर्चा को स्वस्थ्य तरह से आगे बढ़ाने हेतु पब्लिक डोमेन में अपना स्पष्टीकरण जारी करेंगे।
सं.संजय
वार्ता
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