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चुनाव-नारा भूमिका तीन प्रयागराज

केन्द्र की सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस के कुछ ऐसे चुनावी नारे रहे जिनकी बदौलत पार्टी का सितारा बुलन्दी पर रहा। 'गरीबी हटाओ देश बचाओ', पार्टी की ओर से दिल को छू लेने वाला नारा दिया गया 'जात पर ना पात पर इंदिराजी की बात पर मुहर लगेगी हाथ पर', 'आधी रोटी खाएंगे इंदिरा को वापस लाएंगे, एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर चिकमंगलूर,। वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने नारा दिया 'जब तक सूरज चांद रहेगा इंदिरा तेरा नाम रहेगा।' इस नारे के दम पर राजीव गांधी के नेतृत्व में देश में कांग्रेस की सरकार बनी।
श्री श्रीवास्तव ने बताया कि 'इंदिरा हटाओ देश बचाओ',' यह देखो इंदिरा का खेल खा गई राशन पी गई तेल', 'नरक से नेहरू कहे पुकार अबकी बिटिया जाबू हार', 'रोटी रोजी दे न सके जो वह सरकार निकम्मी है जो सरकार निकम्मी है वह सरकार बदलनी है', 'खेत गया हदबंदी में बाप गया नसबंदी में’, नसबंदी के तीन दलाल- इंदिरा, संजय, बंसीलाल और “राजा नहीं, फकीर है, देश की तकदीर है” जैसे चुनावी नारों ने कांग्र्रेस को धूल चटा दिया।
इसके अलावा वर्ष 1989 में “ राजा नहीं, फकीर है, देश की तकदीर है”,राम मंदिर आंदोलन के दौर में भाजपा और संघ ने “सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे, ये तो पहली झांकी है, काशी मथुरा बाकी है, रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” नारा देकर सत्ता काबिज किया था। वर्ष 1996 में भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी को केंद्र में रखकर नारा दिया “सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी”, 'उज्ज्वल भविष्य की है तैयारी बच्चा-बच्चा अटल बिहारी, 'अंधकार में एक चिंगारी अटल बिहारी-अटल बिहारी” का नारा भी प्रसिद्ध हुआ और भाजपा सत्तासीन हुई।
दिनेश प्रदीप
चौरसिया
जारी वार्ता
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