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चंपावत के बनबासा में एकत्र डेढ़ हजार नेपाली अपने वतन लौटे

नैनीताल 25 मई (वार्ता) उत्तराखंड में चंपावत जिले की सीमा पर एकत्र प्रवासी नेपालियों के लिये आखिरकार सोमवार का दिन राहत भरा रहा। लगभग डेढ़ हजार नेपालियों को उनके वतन लौटने का मौका मिल ही गया। नेपाल और चंपावत जिला प्रशासन की सहमति के बाद उन्हें नेपाल भेजा गया।
लाॅकडाउन के बाद आज पहली बार नेपाल और भारत के बीच दोनों देशों की सीमा को खोली गयी। चंपावत के पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह ने बताया कि सरकार के संज्ञान में लाने के बाद चंपावत जिला प्रशासन की ओर से नेपाल के कंचनपुर जिला प्रशासन से प्रवासियों की वापसी को लेकर बात की गयी। दोनों की सहमति के बाद कंचनपुर जिला प्रशासन आज सीमा खोलने को लेकर राजी हो गया।
उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे चंपावत जनपद के बनबसा से सटी सीमा को खोला गया। इसके बाद लगभग डेढ़ हजार नेपालियों को सीमा पार भेज दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि बनबासा के अलावा टनकपुर अौर खटीमा में मौजूद नेपाली प्रवासियों को भी नेपाल के लिये रवाना कर दिया गया है। माना जा रहा है कि इससे टनकपुर प्रशासन को आज काफी राहत मिली है।
बनबासा के थाना प्रभारी धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से नेपाली प्रवासी पिछले दो सप्ताह से यहां एकत्र थे। वे नेपाल जाने के लिये यहां एकत्र हुए लेकिन दोनों देशों के बीच सीमा बंद होने के कारण सीमा पार नहीं जा सके। स्थानीय प्रशासन ने उन्हें डिग्री काॅलेज के अलावा सरकारी एवं निजी स्कूलों में ठहराया था।
धीरे धीरे प्रवासियों का धैर्य जवाब देने लगा और नेपाल सरकार के रवैये से यहां एकत्र नेपाली नाराज हो गये। उन्होंने दो दिन 21 और 25 मई को भारत-नेपाल के बीच जगबूड़ा पुल पर अपनी ही सरकार के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन किया। कल उन्होंने जबर्दस्त जाम लगा दिया और नेपाल सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रवासी अपने वतन जाने को लेकर नेपाल सरकार से सीमा खोलने पर अड़े रहे।
इसके बाद चंपावत प्रशासन की ओर से नेपाल के अधिकारियों से बात की गयी। आज प्रवासियों को 36 बसों से सात से आठ किमी दूर दोनों देशाें की सीमा पर ले जाया गया। जहां पर नेपाल प्रशासन को उन्हें सौंप दिया गया। श्री सिंह ने आगे बताया कि जिला प्रशासन उत्तराखंड में फंसे सभी नेपाली प्रवासियों को उनकी इच्छा पर वापस भेजने को तैयार है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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