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छोटे शहरों से निकल सकते है बड़े खिलाड़ी -जोंटी रोड्स

छोटे शहरों से निकल सकते है बड़े खिलाड़ी -जोंटी रोड्स

झुंझुनू, 21 मई (वार्ता) पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने कहा है कि भारतीय क्रिकेट में महेंद्रसिंह धोनी के विस्फोटक आगमन के बाद साबित हो गया है कि छोटे शहरों से भी बड़े खिलाड़ी निकल सकते हैं।

चार दिन के दौरे पर आज झुंझुनू के डूंडलोद पहुंचे श्री रोड्स ने कहा कि भारत में क्रिकेट के प्रति युवाओं में जुनून हैं। यहां यह गलियों से लेकर मैदान तक खेला जाता है, लेकिन प्रतिभाओं को ढूंढ़ने की जरूरत है, ताकि उन्हें और निखारा जा सके। उन्होंने कहा कि वह हर साल में तीन-चार महीने भारत आते हैं। वह एक बड़ी योजना लेकर चले हैं। जिसमें उनका ध्यान बड़े शहरों से हटकर निचले स्तर पर है। क्योंकि शहरों में इस खेल के लिये इतनी जगह भी नहीं मिलती है, लेकिन गांवों में जगह भी मिलती है और खिलाड़ी भी।

श्री रोड्स यहां क्रिकेट एकेडमी की ओर से आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में युवा क्रिकेटरों को क्रिकेट के गुर सिखाएंगे। आज उन्होंने शिविर में शामिल हो रहे सभी युवा क्रिकेटरों से परिचय किया और चार दिनों तक चलने वाले शिविर के बारे में बताया। जोंटी रोड्स ने पत्रकारों से कहा कि वह चाहते है कि बड़े शहरों की बजाय अब छोटे गांवों में भी इस तरह के कैंप लगाए जाएं ताकि खिलाडिय़ों को निखारा जा सके। श्री रोड्स ने कहा कि वह यहां किसी को गारंटी देने नहीं आए हैं कि 10 साल बाद ये खिलाड़ी भारत के लिये खेलेंगे, लेकिन उन्हें टीम भावना और अनुशासन सिखाने जरूर आए है। इस मौके पर उनके साथ इंडियन क्रिकेट एकेडमी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजयसिंह सहित अन्य पदाधिकारी भी आए हैं।

बातचीत के दौरान जोंटी रोड्स ने अपने परिवार और सोच के बारे में भी अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि वह तीन भाई है। उनके माता-पिता अध्यापक थे। वह जानते थे कि पढ़ाई जरूरी है, लेकिन वह यह भी जानते थे कि खेल भी जरूरी है। यही कारण है कि उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ खेल पर पूरा ध्यान दिया। उन्होंने बताया कि वह कॉमर्स से ग्रेजुएट भी हुए और क्रिकेट भी खेले। उन्होंने कहा कि इससे इतर भारत में देखा जाता है कि पढ़ाई के चलते खेल पीछे छूट जाता है। जबकि खेलों से आप अनुशासन सीख सकते है। श्री रोड्स ने कहा कि हर दिन तीन घंटे पसीना बहाने से कोई मतलब नहीं केवल 20 मिनट का खेल ही आपको आगे तक पहुंचा सकता है।

क्रिकेट के महंगा खेल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि क्रिकेट अब व्यवसाय की तरह हो गया है। क्रिकेट की सामग्री अब महंगी आने लगी है। ऐसे में इस तरह के शिविर बहुत सहयोगी साबित होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वह इंडिया में अच्छे कोच भी तैयार कर रहे हैं जिससे जब वह भारत में न रहें तो भी युवा क्रिकेटर को सही मार्ग दर्शन मिलता रहे।

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