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जीडीपी आंकलन की पद्धति पूरी तरह से सटीक नहीं: आर्थिक सलाकार परिषद

नयी दिल्ली 19 जून (वार्ता) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) निर्धारण के लिय आधार वर्ष में बदलाव किये जाने और इसमें कुछ खामियां होने के बिन्दुबार जबाव देते हुये बुधवार को कहा कि भारत में जीडीपी आंकलन की पद्धति पूरी तरह से सटीक नहीं है और सरकार आर्थिक आंकड़ों की सटीकता को बेहतर बनाने के विविध पहलुओं पर काम कर रही है।
श्री सुब्रमण्यम ने पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट में कहा था कि आधार वर्ष को बदलकर वर्ष 2011-12 करने के बाद से भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 45. प्रतिशत रही है जबकि इसको सात प्रतिशत दिखाया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने इस रिपोर्ट के आंकड़े और आंकलन पद्धति का पुरजोर खंडन करते हुये गत 12 जून को रिपोर्ट का बिन्दुबार अध्ययन कर प्रतिक्रिया देने की बात कही थी।
परिषद के सभी सदस्यों ने श्री सुब्रमण्यम की रिपोर्ट का पुरजोर तरीके से खंडन किया है और इसको बिन्दुबार जबाव भी दिया है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि देश में जीडीपी आंकलन की पद्धति पूरी तरह से सटीक नहीं है लेकिन सरकार इसकी सटीकता की दिशा में काम रह रही है। उसने कहा कि इसमें बेहतरी की दिशा एवं गति सराहनीय है और फिलहाल जीडीपी आंकलन पद्धति एक जवाबदेह, पारदर्शी और सुव्यवस्थित अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की वैश्विक हैसियत के अनुरूप है।
परिषद ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों को वास्तविकता से अधिक बताने से संबंधित श्री सुब्रमण्यम के प्रयासों में कुछ कमजोरी इस बात की पुष्टि करती है कि जीडीपी आंकलन की प्रक्रिया फर्जी आलोचना का सामना करने में सक्षम है। आने वाले समय में भारतीय राष्ट्रीय आय के लेखांकन में बेहतरी के लिए बदलाव होना तय है और यह इस दिशा में एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम है जिसकी आलोचना विशेषज्ञ और विद्वान निश्चित तौर पर करेंगे। हालांकि केवल व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाली नकारात्मकता के जरिए सनसनी फैलाने भर से ही देश के हितों की पूर्ति नहीं होती है।
शेखर सत्या
जारी/वार्ता
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