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जातिगत आरक्षण राष्ट्र के विकास में बाधा: नरेन्द्र गिरी

जातिगत आरक्षण राष्ट्र के विकास में बाधा: नरेन्द्र गिरी

इलाहाबाद, 22 सितम्बर (वार्ता) साधु संतो की जानीमानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि जातिगत आरक्षण राष्ट्र के विकास में हितकर नहीें है।

परिषद के अध्यक्ष श्री गिरी ने कहा कि “जातिवाद की गंदी राजनीति पर आधारित आरक्षण का गंदा खेल भारतीय संविधान की मूल आत्मा के विरूद्ध है। यह धर्म, न्याय एवं जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों के खिलाफ है तथा ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) की समस्या को जन्म दे रहा है।

श्री गिरी ने कहा कि आरक्षण भारतीय जनमानस के बीच भेद-भाव पैदा कर रहा है, वैमनस्य का विष घोल रहा है तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता को विखंडित कर रहा है।

उन्होने कहा कि देश में किसी भी तरह के आरक्षण के लिए मूल आधार आर्थिक स्थिति को बनाया जाए न कि जाति को आधार पर बना आरक्षण दिया जाए। अयोग्य व्यक्ति जब ऊँचे पदों पर पहुँच जाते है तो न समाज का भला होता है और न ही देश का। आरक्षण जैसी चीजें मूल जरूरत मंदों के पास तक नहीं पहुँच पाती। लोगों को नाम के आगे जाति में सिर्फ हिन्दू लिखना चाहिए न/न कि ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम। जब जाति ही नहीं रहेगी तो आरक्षण स्वत: ही समाप्त हो जायेगा।

महंत गिरी ने कहा कि एक षड़यंत्र के तहत सनातन धर्म को कमजोर करने के लिए हिन्दू से हिन्दू को लड़वाया जा रहा है जिसका मुख्य कारण जाति प्रथा ही है। जाति प्रथा नहींं होगी तो आरक्षण भी नहीं होगा।

दिनेश प्रदीप

रवीन्द्र

जारी वार्ता

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