प्रयागराज,19 सितंबर (वार्ता) तीर्थराज प्रयाग में गंगा और यमुना के जलस्तर में लगातार हो रही बढोत्तरी से आम लोगों की तरह ही आवारा पशु भी सुरक्षित स्थान की तलाश में जुटे हैं। आमतौर पर अंजान चेहरों को देख भौंक कर धमकाने वाले श्वानों ने भी मुसीबत की घड़ी में अपना स्वभाव बदल लिया है।
गंगा के किनारे रिहायशी क्षेत्रों में रहने वाले श्वान भी बाढ़ से त्रस्त हैं। बाढ़ के पानी से बचने के लिये सैकड़ों बेजुबान प्राणियों ने घाट किनारे पड़े तखत तो कई ने नावों को अपना आशियाना बना लिया है।
बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए जहां एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी, पुलिस और गोताखोर के जवान मोटरवोट से बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में चक्रमण कर रहे हैं लेकिन इन श्वानों को तो अपनी सुरक्षा स्वयं ही करनी पड़ रही है। प्रभावित इलाकों में कीचड़ और गंदगी के चलते विषधारी जीव रिहायशी इलाकों की ओर रुख करने लगे हैं। आर्यकन्या इंटर कॉलेज परिसर के झाड़ियों में छिपे विषखोपड़ा को जीव जंतु कल्याण समिति के सदस्य काके ने पकड़कर शहर के बाहर किया।
प्रयागराज में गंगा नदी खतरे के निशान को पार कर गई है। बाढ़ के कारण शहरी इलाकों और कई गांवों में पानी घुसने लगा है. इस वजह से हजारों घर डूब गए हैं। इन घरों में लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सैकड़ों पशु बाढ़ में बह गये हैं।
जलस्तर बढ़ने से दारागंज, छोटा बघाड़ा, चांदपुर सलोरी, सलोरी, शिवकुटी, तेलियरगंज, मेहंदौरी, रसूलाबाद, बेली गांव, बेली कछार, राजापुर, नेवादा, गौसनगर, करैलाबाग, नैनी, झूंसी और फाफामऊ के कछारी इलाकों में मुसीबत खड़ी हो रही है. हजारों घरों में पानी घुस गया है। जिला प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए रखा है। बचाव कार्य के लिए सभी टीमें अलर्ट हैं।
दिनेश प्रदीप
वार्ता