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जौनपुर: जमैथा में खरबूजे के बल पर होते थे किसानों के यहां मांगलिक कार्य

जौनपुर: जमैथा में खरबूजे के बल पर होते थे किसानों के यहां मांगलिक कार्य

जौनपुर, 22 मई(वार्ता) कभी पूरे पूर्वांचल में अपनी खुशबू बिखेरने वाले जौनपुर में जमैथा इलाके के खरबूजे का भी एक स्वर्णिम काल रहा है। इस खरबूजे की फसल के दम पर ही वहां के किसान अपनी बेटियों के हाथ पीले करने का दम भरते थे। कोई भी मांगलिक कार्यक्रम करना हो अथवा जमीन जायदाद खरीदना हो किसानों का सबसे बड़ा सहारा खरबूजा ही बनता था। बदलते परिवेश में आज खरबूजे की बदहाल स्थिति पर यहां के किसान बहुत दुखी हैं।

जमैथा निवासी किसान श्रीपत निषाद ने शुक्रवार को यहां बताया कि कभी यह खरबूजे की खेती बहुत फायदे का सौदा होती थी और इसको बोने तथा मंडियों तक पहुंचाने के लिए हम लोग उत्साहित रहते थे लेकिन समय की मार ऐसी पड़ी कि खरबूजे का तो जैसे अकाल पड़ गया है। न उत्तम किस्म के उन्नत बीज मिलते हैं और न ही सिंचाई सहित अन्य साधन उपलब्ध हो रहे हैं। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसी प्रकार का सरकारी अनुदान भी उपलब्ध नहीं है।

किसान राजबहादुर यादव ने बताया कि इसकी खेती के प्रति किसानों की रुचि धीरे धीरे कम होती गई। जिसका आलम यह हो गया कि कभी खरबूजे की महक से पूरा गांव महकता था और सभी दुकानों पर जमैथा के खरबूजे की अच्छी खासी खपत होती थी, वहीं अब यह यदा-कदा ही किसी दुकान अथवा ठेले पर दिखाई देता है वास्तव में महर्षि यमदग्नि ऋषि की धरती का यह विशेष फल अब अपना स्थान खो चुका है जो शुभ संकेत नहीं है।

सं भंडारी

वार्ता

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