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नए सांसद


जनवितरण प्रणाली दुकानदार से सासंद बने विजय कुमार मांझी

जनवितरण प्रणाली दुकानदार से सासंद बने विजय कुमार मांझी

गया 03 जून (वार्ता) कभी गरीबी में परिवार का भरण-पोषण करने के लिये जन वितरण प्रणाली दुकान चलाने वाले विजय कुमार मांझी ने पहले विधायक और फिर सासंद बनकर सफलता की नयी इबारत लिखी है।

बिहार में गया जिले के विष्णुपद थाना क्षेत्र के नैली गांव में 04 जनवरी 1970 को जन्में विजय कुमार मांझी ने गरीबी को काफी करीब से देखा है। उनके पिता विफाई दास और मां भगवती देवी दोनों मजदूरी किया करते थे। विजय कुामर मांझी के दो भाई और एक बहन हैं। श्री माझी ने घर के पास ही बाराचट्टी मध्य विद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। वर्ष 1985 में श्री मांझी ने राज्य संपोषित उच्च विद्यालय, बाराचट्टी से मैट्रिक और वर्ष 1987 में सोभ कॉलेज, सोभ बाराचट्टी से इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की। स्नातक द्वितीय वर्ष के बाद की पढ़ाई पूरी नही कर सके।

वर्ष 1992 में परिवार का भरण पोषण करने के लिये श्री मांझी जनवितरण प्रणाली की दुकान चलाने लगे। वर्ष 1995 में उन्होंने जनता दल से जुड़कर राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा। वह अपनी मां भगवती देवी के राजनीति में आने के बाद उनके छांव में रहने लगे और उनसे राजनीति के गुर सीखे। भगवती देवी पहले विधायक और बाद में सांसद भी बनीं। मां के सांसद रहते उनका पूरा कार्यभार विजय कुमार माझी ही संभालते रहे।

वर्ष 2003 में मां की अकस्मात मृत्यु ने विजय कुमार को तोड़कर रख दिया। भगवती देवी की मौत के बाद बाराचट्टी विधानसभा में हुए उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने श्री मांझी की छोटी बहन समता देवी को टिकट दिया और वह जीत हासिल करने में सफल रही।

फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में श्री मांझी ने राजद की टिकट पर बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने में सफल रहे। हालांकि उस समय विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण सरकार गिर गई। इनके साथ-साथ जितने भी विधायक निर्वाचित हुए थे वे शपथ नहीं ले पाए थे। इसके बाद जब अक्टूबर 2005 में फिर विधानसभा चुनाव हुआ तो राजद ने श्री मांझी की बहन समता देवी को टिकट दे दिया। इसके बाद वर्ष 2010 के चुनाव में भी राजद ने समता देवी को पार्टी का टिकट दिया। बहन को बार-बार टिकट मिलने का विरोध विजय कुमार माझी करते रहें लेकिन उनकी एक न चली। वर्ष 2014 में श्री मांझी राजद का दामन छोड़कर जदयू में शामिल हो गये।

श्री मांझी को वर्ष 2019 के आम चुनाव में गया (सु) संसदीय सीट से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ने का अवसर मिला। उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को 152426 मतों के भारी अंतर से पराजित कर दिया और पहली बार सासंद बनने में सफल रहे।

श्री मांझी को उनके राजनीतिक करियर में पत्नी देवरानी देवी का खूब साथ मिला है। उनकी पत्नी वर्ष 2011 में जिला परिषद की सदस्य चुनी गई थी। उनके चार बच्चे हैं। श्री मांझी को कबीर का भजन सुनना बेहद पसंद है।

प्रेम सूरज

वार्ता

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