जयपुर, 23 जनवरी (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि जल्दबाजी में विधानसभा सत्र बुलाना राज्य सरकार की सबसे बड़ी असफलता का द्योतक है।
यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल की बैठक के बाद श्री कटारिया ने पत्रकारों से कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी एसटी) आरक्षण अधिनियम 12 दिसंबर को ही लोकसभा और राज्यसभा में पारित कर दिया गया था। इसमें आधे राज्यों की सहमति आवश्यक होती है, लेकिन राजस्थान की सरकार और राजस्थान का प्रशासनिक तंत्र सहमति समय पर नहीं दे पाया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम के जरिए आरक्षण की अवधि 10 साल बढ़ाकर 2030 तक कर दी गयी। इसके बारे में जो राय देनी थी उसकी अंतिम सीमा 25 जनवरी है, लेकिन नींद में सोई सरकार को अचानक कहीं से इसके बारे में जानकारी मिली और विधानसभा की परम्पराओं को ताक पर रखकर आनन फानन में 24 जनवरी को सत्र बुलाया गया।
श्री कटारिया ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण का सत्र 21 दिन के नोटिस पर बुलाया जाता है, लेकिन इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि इतने कम नोटिस पर सत्र आहूत किया गया है। कुछ अपवाद को छोड़कर इस तरह का सत्र नहीं बुलाया जाता है। विधायकों को इसी 21 दिन के अंदर अपने प्रश्नों को तैयार करने का समय मिलता है। न तो विधायक प्रश्नों की तैयारी कर पाए और न ही सरकार राज्यपाल के अभिभाषण की तैयारी कर पाई। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण को एक-एक विभाग भाषण की तैयारी करता है। उन्होंने कहा कि क्या तैयारी की होगी यह तो भगवान ही जानें।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को कटघरे में खड़ा करते हुये कहा कि विधानसभा से सम्बन्धित वक्तव्य कार्य सलाहकार समिति तय करती है कि सदन कब तक चलेगा और उसका प्रतिवेदन जब सदन में मंजूरी के लिये आता है, उसके मंजूर होने के बाद वह सार्वजनिक होता है। इससे पहले भी जब कई बार कार्य सलाहकार समिति ने कोई बात बाहर की है, तो उसे माफी मांगनी पड़ी है। सचिन पायलट को इसका ज्ञान नहीं है, उन्होंने श्री पायलट से इसके लिये माफी मांगने की मांगी की।
सुनील
वार्ता