भारतPosted at: Sep 19 2019 9:51PM जल प्रबंधन बने जन आंदोलन : बिरला
नयी दिल्ली, 19 सितम्बर (वार्ता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जल संरक्षण को भविष्य के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि इसके वास्ते जमीन पर बहकर बर्बाद होने वाले सतही जल के प्रबंधन पर ध्यान देने और इसे जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है।
श्री बिरला ने जल संरक्षण के लिए काम कर रहे राजस्थान नदी बेसिन तथा जल संसाधन योजना प्राधिकरण के अध्यक्ष श्रीराम विदरे की पुस्तक ‘ए डिस्टिंक्टिव वाटर मैनेजमेंट स्टोरी- द राजस्थान वे’ का लोकार्पण करते हुए गुरुवार को यहां कहा कि वर्षा का जल जमीन पर बहकर बर्बाद हो जाता है। यह पानी जमीन के अंदर भी नहीं जाता है इसलिए यह भूजल के स्तर को बढाने के काम भी नहीं आता है इसलिए सतह पर बहकर बेकार होने वाले इस जल को संरक्षित कर उसका प्रबंधन जरूरी है।
उन्होंने कहा कि उनके संसदीय क्षेत्र कोटा में बड़ी मात्रा में सतही जल बेकार चला जाता है जबकि पानी की कमी को देखते हुए वहां के लिए इस जल का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जिस दिन सतही जल के प्रबंधन को जन आंदोलन का रूप मिल जाएगा, देश में पानी का संकट स्वत: खत्म हो जाएगा।
वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि उन्होंने वनों में पशु पक्षियों के लिए पर्याप्त जल संरक्षण की योजना बनायी है। इस योजना के तहत वनों पर पर्याप्त घास भी उगाई जाएगी ताकि जंगली जानवरों को पानी और भोजन की तलाश में बस्तियों में नहीं आना पडे। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए 50 हजार करोड रुपए की व्यवस्था की गयी है।
श्री जावडेकर ने कहा कि नयी सरकार में उन्होंने जब इस मंत्रालय का काम संभाला है तो सबसे पहले इसी योजना पर विचार किया और अधिकारियों को बताया कि यदि जंगल में घास और पानी की पूरी व्यवस्था होगी तो जंगली जानवरों और मानव के बीच संघर्ष थम जाएगा। उन्होंने कहा कि जंगल में घास और पानी की कमी होने से जानवर भोजन और विशेष कर पानी की तलाश में बस्तियों में आना शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इस निधि में उन्होंने जल प्रबंधन के लिए ज्यादा निधि दी है।
जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान में कई जगह सही में ‘जल प्रबंधन जन आंदोलन बना’ है। इसका अहसास उन्हें तब हुआ जब उनके काम का लक्ष्य 99 प्रतिशत पूरा हुआ जिस मकसद से उन्होंने अपना काम शुरू किया उसके सही नतीजे सामने आने लगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कई जगह जल आंदोलन अब जन आंदोलन बन गया है और जल संरक्षण के पंरपरागत स्रोतों को सुरक्षित किया जा रहा है।
अभिनव जितेन्द्र
वार्ता