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भारत


जलवायु परिवर्तन, कुपोषण के मद्देनजर फसलों की 250 किस्में विकसित: महापात्रा

नयी दिल्ली, 27 फरवरी (वार्ता) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने गुरुवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की समस्या को दूर करने के मद्देनजर हाल के वर्षों में फसलों की करीब 250 ऐसी किस्मों का विकास किया है जो जलवायु परिवर्तन सहनशील तथा पोषक तत्वों से भरपूर है।
डॉ महापात्रा ने परिषद की 91वीं वार्षिक आम बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि फसलों की 220 अलग-अलग किस्मों का विकास किया गया है जिनमें से 189 जलवायु परिवर्तन सहनशील हैं। पिछले चार साल के दौरान फसलों की 52 जैविक रूप से संवर्धित (बायो-फोर्टिफाइड) किस्मों का विकास किया गया है जो विटामिन और खनिज पदार्थों से परिपूर्ण है। कुछ राज्याें में कुपोषण को दूर करने के लिए बायो-फोर्टिफाइड किस्मों का भोजन में उपयोग किया जा रहा है और उसके अच्छे परिणाम भी सामने आने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि गेहूं की एक एचडी 3226 किस्म का विकास किया गया है जिसमें सात बीमारियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता है और अनुकूल परिस्थिति में प्रति हेक्टेयर आठ से नौ टन का उत्पादन है। गेहूं की इस किस्म की औसत उपज छह टन प्रति हेक्टेयर है। सोयाबीन की एनआरसी 127 ऐसी किस्म है जो प्रोटीन से भरपूर है और इसमें प्रोटीन को पचाने की अद्भूत क्षमता है। अमरूद की अर्क किरण गुणों से भरपूर है।
अरुण.श्रवण
जारी वार्ता
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