नयी दिल्ली 23 जुलाई (वार्ता) अमेरिका के न्यूयॉर्क में सितम्बर में होने वाली जलवायु शिखर बैठक के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत लूई एल्फोंसो डी एल्बा ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन पर भारत अपने मूल लक्ष्य से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और उद्योग जगत के साथ यहाँ दो दिन तक बैठकों के दौर के बाद श्री एल्बा ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, “पिछले दो दिन में मैंने (भारत के) विदेश मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मैंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और गैर-सरकारी संगठनों से भी बात की। मैंने सरकार से सितंबर में होने वाली बैठक में महत्त्वाकांक्षी योजना के साथ आने के लिए कहा है। ...भारत अपने मूल लक्ष्य को भी पार कर सकता है। उसे पता है कि क्या करना है। कृषि, वायु गुणवत्ता और अन्य मुद्दों पर वह अच्छा काम कर रहा है।”
उन्होंने बताया कि जलवायु शिखर बैठक से पहले दो भारतीय कंपनियों डालमिया सीमेंट और महिंद्रा समूह समेत 16 देशों की 28 कंपनियों ने यह प्रतिबद्धता जतायी है कि औद्योगिक युग से पहले के तापमान में बढोतरी 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो। ये बड़ी कंपनियाँ हैं जिनका बाजार पूँजीकरण 13 खरब डॉलर है। साथ ही इन कंपनियों ने वर्ष 2050 तक कार्बन उत्सर्जन निरपेक्ष बनने का भी संकल्प लिया है।
संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि ने कहा कि 20 साल तक बैठकों और चर्चाओं के बाद अब प्रतिबद्धताओं को लागू करने का समय आ गया है। पेरिस जलवायु सम्मेलन में तापमान वृद्धि को औद्योगिक युग से पहले के मुकाबले दो डिग्री सेल्सियस की सीमा में रखने का फैसला किया गया था। अब लक्ष्य को और कड़ा करते हुये 1.5 डिग्री सेल्सियस करने पर उन्होंने कहा कि तापमान में दो डिग्री और 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कारण होने वाले नुकसान में काफी अंतर होगा। उन्होंने कहा कि पेरिस सम्मेलन में भी ‘दो डिग्री सेल्सियस और यदि संभव हो तो 1.5 डिग्री सेल्सियस’ की बात कही गयी थी।
अजीत.श्रवण
जारी वार्ता