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झुंझुनू बीड़ के विकास में बाधक बना कोरोना

झुंझुनू, 20 सितम्बर (वार्ता) राजस्थान में झुंझुनू- दिल्ली मार्ग पर झुंझुनू शहर के निकट स्थित वन्य जीवों के लिये संरक्षित क्षेत्र को विकसित करने एवं वहां राजस्थान का वन्य श्रेणी का राज्य पशु चिंकारा छोड़ने की योजना कोरोना के कारण बजट में की गयी कटौती के चलते रुक गई है।
पर्याप्त बजट नहीं मिलने के कारण यहां के बीड़ में अभी न तो चिंकारा छोड़े जा रहे हैं और न ही गंदे पानी की समस्या दूर हो रही। गत जनवरी माह में जिला कलक्टर ने वन विभाग, आरयूआइडीपी, नगर परिषद एवं अन्य अधिकारियों के साथ बीड़ का दौरा किया था। उस दौरान तीन दिन में पानी निकासी की व्यवस्था करने सहित कई निर्देश दिए गए थे। लेकिन उनके निर्देशो की अब तक पालना नहीं हो पायी है। धरातल पर जैसे हाल जनवरी में थे, वैसे ही आज भी है। बीड़ में न तो गंदे पानी की निकासी की समस्या हल हुई न ही दुर्लभ पौधों का संरक्षण किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की योजना के तहत अगले दस वर्ष में बगड़ रोड पर स्थित बीड़ की काया पलट की जानी है। योजना के तहत यहां चिंकारा कुलांचे भरते नजर आएंगे। गंदा पानी दूर होगा। इसे पर्यटन से जोड़ा जाएगा। इसके साथ गंदे पानी से जो औषधीय पौधे नष्ट हो गए उनको फिर से विकसित किया जाएगा। बीड़ के विकास में अगले दस वर्ष में 20 करोड़ 75 लाख रुपए खर्च होंगे।
उक्त राशि से बीड के चारों तरफ पक्की दीवार का निर्माण होगा। दीवार बनने से एक तो सड़क हादसों में कमी आएगी, दूसरा अतिक्रमण रुकेगा। वन विभाग की चौकी भी स्थािपत होगी। वन्य जीवों के लिए पानी की उपलब्धता के लिए जल संरचनाओं का निर्माण होगा। घास के मैदान विकसित किये जाएंगे। चारा देने वाली प्रजातियों का पौधारोपण होगा। औषधीय पौधों की नर्सरी विकसित की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि पर्यटकों के लिए बायोटॉयलेट, इको ट्रेल, वॉच टॉवर, व्यू पांइट, वृक्ष कुंज बनाए जाएंगे। पुराने जोहड़ों को सुधारा जाएगा। इस बाबत झुंझुनू के उप वन संरक्षक आरके हुड्डा का कहना है कि बीड़ का विकास किया जा रहा है। बजट में कमी के कारण चिंकारा अभी नहीं छोड़े जा रहे। मगर पौधे निरंतर लगाए जा रहे हैं।
सराफ सुनील
वार्ता
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