नयी दिल्ली, 07 अगस्त (वार्ता) कुश्ती भारत का एकमात्र ऐसा खेल है जिसमें देश ने पिछले तीन ओलम्पिक में पदक जीते हैं और टोक्यो ओलम्पिक में पदक उम्मीदों को परवान चढ़ाने के लिए इस बार कुश्ती में किसी कोच को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलना जरूरी है। 29 अगस्त को खेल दिवस के दिन राष्ट्रपति खिलाड़ियों और कोचों को राजीव गांधी खेल रत्न, द्रोणाचार्य अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड और अर्जुन अवार्ड प्रदान करेंगे।
भारत के चार पहलवान पिछले वर्ष की विश्व चैंपियनशिप के पदक के बदौलत टोक्यो ओलम्पिक का कोटा हासिल कर चुके हैं और अगले वर्ष होने वाले क्वालीफायर में देश को और कोटा मिलने की उम्मीद है। टोक्यो ओलम्पिक में पदक की सबसे बड़ी उम्मीद बजरंग पुनिया और ओलम्पिक में पदक जीत चुके सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त जैसे दिग्गज पहलवानों के साथ राष्ट्रीय शिविर में कोच रह चुके सुजीत मान इस साल दिये जाने वाले द्रोणाचार्य पुरस्कारों की होड़ में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ और रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड ने द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए सुजीत मान का नाम खेल मंत्रालय को भेजा है। कुश्ती में पिछले दो वर्षों में किसी कोच को द्रोणाचार्य नहीं मिला है।
श्रेष्ठ गुरु को दिए जाने वाले द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए 63 आवेदन मिले हैं, जिनमें से पांच गुरुओं का चयन किया जाना है। कुश्ती द्रोणाचार्य के लिए दावा पेश करने वालों में पांच नामों के बीच करीबी टक्कर है और सुजीत मान का दावा इसलिए सबसे मजबूत माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने एक पहलवान के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है और कोच रहते उन्होंने देश को अंतर्राष्ट्रीय पदक दिलाने वाले कई नामी पहलवानों को प्रशिक्षित किया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि फिजिकल फॉउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) ने गत वर्ष अपने राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में सुजीत को कुश्ती में सर्वश्रेष्ठ कोच के पुरस्कार से नवाजा था। 43 वर्षीय सुजीत ने शुक्रवार को कहा, “यह लगातार तीसरा साल है जब मैंने अपना नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए भेजा है। मैंने 2018 और 2019 में भी अपना नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए भेजा था। उन दोनों वर्षों में मेरे सबसे ज्यादा अंक थे और इस बार भी मेरे सबसे ज्यादा अंक बनते हैं। पिछले दो वर्षों में यह अवार्ड न मिलने से मुझे काफी निराशा हुई थी लेकिन इस बार मैं उम्मीद कर रहा हूं कि चयन पैनल मेरे नाम पर गंभीरता से विचार करेगा। यह पुरस्कार मुझे टोक्यो ओलम्पिक के लिए और अच्छा करने की प्रेरणा देगा ताकि देश लगातार चौथे ओलम्पिक में कुश्ती में पदक जीत सके।” 2008 ओलम्पिक में सुशील ने, 2012 ओलम्पिक में सुशील और योगेश्वर ने तथा 2016 ओलम्पिक में साक्षी मलिक ने पदक जीते थे।वर्ष 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए 18वें एशियाई खेलों में सुजीत भारतीय कुश्ती टीम के साथ कोच रहे थे। बजरंग पुनिया ने इन खेलों में फ्रीस्टाइल के 65 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था और सुजीत इसी फ्रीस्टाइल टीम के साथ कोच थे। सुजीत राजधानी के जाने-माने गुरू हनुमान अखाड़े से हैं जिसने देश को छह द्रोणाचार्य अवार्डी दिए हैं। वह साथ ही रेलवे में कोच भी हैं। उन्होंने 1987 में कुश्ती शुरू की थी और 2007-08 में डिप्लोमा करनेके बाद जूनियर टीम के कोच बने थे। वह 2010 में हुए पहले युवा ओलंपिक में भी भारतीय टीम के कोच थे जिसने दो पदक जीते थे। वह 2011 में सीनियर टीम के साथ कोच के रूप में जुड़े और तब से अब तक सीनियर कोच के रूप में चले आ रहे हैं।सुजीत ने कहा, “कोच के रूप में मेरी जितनी उपलब्धियां और अनुभव है, उससे मुझे पूरी उम्मीद है कि सरकार मुझे इस अवार्ड से मान्यता प्रदान करेगी। मैं देश की राष्ट्रीय टीमों के साथ 20 से अधिक बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जा चुका हूं और 2018 के एशियाई खेल मेरे पहले एशियाड थे जिसमें बजरंग ने स्वर्ण जीता। मैं 2014 के ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भी टीम के साथ कोच था जिसमें सुशील ने स्वर्ण जीता था।” वर्ष 2014 से 2017 तक लगातार विश्व सीनियर चैंपियनशिप में टीम के साथ कोच के रूप में गये सुजीत ने 2004 के एथेंस ओलंपिक में हिस्सा लिया था। उन्हें 2002 में अर्जुन पुरस्कार, 2004 में हरियाणा सरकार से भीम अवार्ड और 2005 में रेल मंत्री अवार्ड मिला था। वह 2003 की राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के अलावा सर्वश्रेष्ठ पहलवान भी रहे थे। उन्हें एशिया में चार बार पदक मिल चुके हैं जिनमें एक रजत और तीन कांस्य पदक शामिल हैं।गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला में द्रोणाचार्य गुरु हनुमान और पांच अन्य नामी द्रोणाचार्यों से कुश्ती के गुर सीखने के बाद सुजीत देश के उभरते पहलवानों को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। सुजीत की बड़ी उपलब्धि यह रही है कि उन्होंने ओलंपिक पदक विजेता सुशील और योगेश्वर को राष्ट्रीय शिविर में ट्रेनिंग दी। सुजीत ने इसके अलावा बजरंग पुनिया, राहुल अवारे, दीपक पुनिया, रवि कुमार, सुमित, सोमवीर, मौसम खत्री, अमित कुमार, पवन कुमार, अमित धनकड, विनोद कुमार जैसे विख्यात पहलवानों को राष्ट्रीय शिविर में ट्रेनिंग दी है। वह विश्व चैंपियनशिप, एशियाड, कामनवेल्थ खेल और ओलंपिक में भारतीय टीम के कोच की भूमिका निभा चुके हैं और चाहते हैं कि भारतीय पहलवान पिछले तीन ओलम्पिक की तरह अगले साल टोक्यो ओलम्पिक में भी पदक विजयी प्रदर्शन करें।
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