भारतPosted at: Sep 21 2018 11:28PM डॉक्टरों की पहली पदोन्नति के लिए जरूरी हो ग्रामीण सेवा : नायडू
नयी दिल्ली 21 सितम्बर (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने चिकित्सा के पेशे को मिशन बताते हुये युवा डॉक्टरों से वंचितों की सेवा का संकल्प लेने की अपील की और कहा कि उनकी राय में पहली पदोन्नति के लिए ग्रामीण इलाकों में कम से कम तीन साल की सेवा अनिवार्य होनी चाहिये।
श्री नायडू ने यहाँ विज्ञान भवन में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीए) के 19 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये कहा “चिकित्सा का पेशा एक मिशन है। आप लोगों की देखभाल करने वाले मिशनरी हैं। बेशक आप अपने पेशे में निपुण हों, लेकिन साथ ही आपको उदार और परवाह करने वाला भी होना चाहिये।”
उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी ने आजादी के बाद दो मंत्र दिये थे जिनमें एक कांग्रेस पार्टी को समाप्त करना और दूसरा गाँव की ओर लौटना था। लेकिन, हमने “बैक टू विलेज” का गलत मतलब निकाला और गाँव की ओर पीठ कर शहर की ओर चल दिये। उन्होंने कहा “मैंने सरकार को सलाह दी है कि पहली पदोन्नति पाने के लिए डॉक्टरों के लिए तीन साल की ग्रामीण सेवा जरूरी बनायी जाये। अब सोच बदलने और वंचितों की सेवा करने का समय आ गया है।”
उपराष्ट्रपति ने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा कि स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए स्वच्छता जरूरी है - तन और मन के साथ धन भी स्वच्छ होना चाहिये।
उन्होंने कहा कि भारत किसी समय विश्व गुरु और स्वास्थ्य पर्यटन का केंद्र था। अब समय आ गया है कि अपने ज्ञान की पताका फिर से फहरायें। दुनिया गौर से भारत की तरफ देख रही है। आयुर्वेद और योग में उनकी रुचि है। सुश्रुत, चरक और धनवंतरी के समय भारत चिकित्सा पर्यटन का केंद्र हुआ करता था। आज भी बंगलादेश और अरब के देशों से लोग इलाज के लिए भारत आ रहे हैं। उन्होंने डिग्री हासिल करने वाले युवा चिकित्सकों से भारत को एक बार फिर विश्वसनीय वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की अपील की।
अजीत संजीव
जारी (वार्ता)