राज्यPosted at: Sep 25 2018 5:07PM दशहरा पर्व पर रावण दहन पर लगे रोक
मथुरा, 25 सितंबर (वार्ता )उत्तर प्रदेश में मथुरा लंकेश भक्त मंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र भेजकर दशहरे पर रावण के पुतले दहन पर रोक लगाने की मांग की है।
मंडल के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता ओमवीर सारस्वत ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से कहा कि रामलीला के माध्यम से रावण का जो स्वरूप आमजन के सामने प्रस्तुत किया जाता है तथा जिस प्रकार से दशहरे पर उसका पुतला दहन किया जाता है वह किसी भी दृष्टि से उचित नही है।
उन्होंने कहा कि इतिहास साक्षी है कि रावण न केवल पराक्रमी था बल्कि विद्वान, संस्कारी तथा पांडित्यपूर्ण था। शिवभक्त रावण की इन्हीे विशेषताओं के कारण जब श्रीराम ने रामेश्वरम में समुद्र पर पुल बनाने के लिए भूमिपूजन करने का निश्चय किया तो उन्होंने आचार्य पुरोहित रावण को पूजन परंपरा का निर्वहन करने को बुलाया था।
उन्होंने कहा कि पुतला दहन भारतीय संस्कृति की परंपरा के विपरीत है क्योंकि इसमें एक विद्वान, पराक्रमी, संस्कारित व्यक्ति को हीन बताकर उसके पुतले का दहन किया जाता है ।इसका विपरीत असर नही पीढ़ी पर पड़ता है और वह कुसंस्कारित होती जा रही है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से भी यह गलत परंपरा है क्योंकि जब दशहरे पर रावण एवं मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है तो पुतलों में पटाखों आदि के लगाने और उनके फटने से वातावरण काफी समय तक बहुत अधिक प्रदूषित हो जाता है। श्री सारस्वत ने यह भी कहा कि पुतला दहन से सारस्वत ब्राह्मणों की भावना को ठेस भी पहुंचती है क्योंकि वह रावण को अपना आदर्श मानते है।
उन्हेानें बताया कि लंकेश भक्त मण्डल ने जिस प्रकार राष्ट्रपति को पत्र लिखा है उसी प्रकार के पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी लिखा है जिसमें न केवल रावण के पुतला दहन पर स्थाई रोक लगाने की मांग की गई है बल्कि उनसे अनुरोध किया गया है कि स्कूली पाठ्यक्रम में रावण के एक पाठ का समायोजन कर उसमें रावण के आदर्शों एवं महानता का विवरण दिया जाए। उनका मानना है कि इस परंपरा को रोकने से नई पीढ़ी के संस्कारों में ग्रहण नही लगेगा।
सं तेज
वार्ता