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धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश का मामला वृहद पीठ के सुपुर्द

धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश का मामला वृहद पीठ के सुपुर्द

नई दिल्ली, 14 नवंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने मंदिरों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश सहित विभिन्न संवैधानिक बिंदुओं को गुरुवार को वृहद पीठ के सुपुर्द कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत का फैसला सुनाया।

संविधान पीठ ने धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश जैसे व्यापक मसले को सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सुपुर्द कर दिया। इस बीच पीठ ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के संबंध में पूर्व का फैसला वृहद पीठ का अंतिम निर्णय आने तक बरकरार रहेगा।

इस मामले में न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसले से असहमति जताई और अलग से अपना फैसला सुनाया।

बहुमत का फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वमान्य नियमों के मुताबिक हों और आगे सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस बारे में अपना फैसला सुनाएगी।

महिलाओं के मंदिर, मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों में प्रवेश के मुद्दे को वृहद पीठ को भेजने को लेकर न्यायाधीशों की राय बंटी नजर आई। न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने के पक्ष में थे। उनका मानना था कि शीर्ष अदालत का फैसला मानने के लिए सभी बाध्य हैं और इसका कोई विकल्प नहीं है। दोनों न्यायाधीशों की राय थी कि संवैधानिक मूल्यों के आधार पर फैसला दिया गया है और सरकार को इसके लिए उचित कदम उठाने चाहिए।

बहुमत के फैसले में न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ सबरीमला मंदिर ही नहीं, बल्कि मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर भी पड़ेगा।

संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए। अब बड़ी पीठ में जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के दरगाह-मस्जिदों में प्रवेश पर भी सुनवाई की जाएगी और ऐसी सभी तरह की पाबंदियों को दायरे में रखकर समग्र रूप से फैसला लिया जाएगा। इस बीच सबरीमला में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर गत वर्ष का फैसला बरकरार रहेगा।

शीर्ष अदालत ने गत वर्ष 4:1 के बहुमत के फैसले से सबरीमला में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। उससे पहले मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी।

सुरेश.श्रवण

वार्ता

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