नयी दिल्ली, 02 अप्रैल (वार्ता) कर्नाटक सरकार ने केरल उच्च न्यायालय के उस आदेश को शुक्रवार को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जिसमें केरल से लगती कर्नाटक की बंद सड़क सीमा खुलवाने के लिए केंद्र को निर्देश दिया गया है।
कर्नाटक सरकार का कहना है कि उच्च न्यायालय के इस आदेश के लागू होने से कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका है, क्योंकि स्थानीय आबादी केरल के कासरगोड़ जिले से लोगों के प्रवेश का विरोध कर रही है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ कल इस मामले की सुनवाई करेगी।
इस बीच केरल सरकार ने भी कैविएट याचिका दायर करके उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया है कि कर्नाटक सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर कोई भी आदेश सुनने से पहले उसका पक्ष भी सुना जाना चाहिए। कर्नाटक सरकार की केरल से जुड़ी सड़क सीमाओं की नाकेबंदी के खिलाफ गत 30 मार्च को कासरगोड़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस सांसद राजमोहन उन्नीथन ने भी एक याचिका दायर कर रखी है।
श्री उन्नीथन ने शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर करके कर्नाटक सरकार के आदेश को चुनौती दी है। यह याचिका अधिवक्ता हैरिस बीरन के माध्यम से दायर की गयी है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि कर्नाटक सरकार द्वारा केरल से लगती सीमा सील किये जाने के कारण आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है, इतना ही नहीं उनके संसदीय क्षेत्र के लोग चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं। दरअसल उनकी दलील है कि कासरगोड के निवासी सालों से मंगलूरू जिले में चिकित्सा सुविधाओं पर निर्भर रहते आए हैं, लेकिन सीमा सील किये जाने के कारण ये लोग चिकित्सा सेवाओं के लिए मंगलूरू नहीं जा पा रहे हैं। नाकेबंदी के कारण एम्बुलेंस को लौटाने की वजह से दो मरीजों की मौत होने का भी याचिका में हवाला दिया गया है।
याचिककर्ता की दलील है कि सीमा सील किया जाना केंद्र सरकार के उन दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, जिसमें सभी राज्य सरकारों को बिना बाधा के माल और सेवाओं की अंतर-राज्य आपूर्ति की अनुमति देने का निर्देश दिया गया है।
सुरेश,जतिन
वार्ता